लखनऊ कृषि उत्पादन आयुक्त ने प्रदेश में चल रही योजनाओं की प्रगति को प्रेस कॉन्फ्रेंस के द्वारा जानकारी दिया

लखनऊ, कृषि उत्पादन आयुक्त (एपीसी) सभागार में प्रेस कॉन्फ्रेंस


किसानों के कल्याण के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की प्रगति


फसल ऋण मोचन योजना- वित्तीय वर्ष 2018-19 में एन.पी.ए. समाधान योजना एवं फसल ऋण मोचन योजनान्तर्गत छुटे हुए 8.48 लाख पात्र/लाभार्थी कृषकों का रू0 3730.04 करोड़ ऋण मोचन किया गया। इस प्रकार योजनान्तर्गत कुल 44.54 लाख कृषकों का रू0 24821.30 करोड़ ऋण मोचन किया गया। वित्तीय वर्ष 2019-20 में जनपद स्तर पर प्राप्त आॅफलाइन शिकायतों के अंतर्गत 1.18 लाख कृषकों की रू0 704.08 करोड की डिमाण्ड जनरेट की गयी है। भुगतान की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। 


किसान सम्मान निधि योजना- योजनान्तर्गत 172.90 लाख कृषको को रू0 3458.02 करोड प्रथम किश्त, 159.32 लाख कृषको को रू0 3186.52 करोड द्वितीय किश्त, 124.67 लाख कृषको को रू0 2493.50 करोड तृतीय किश्त एवं 52.63 लाख कृषको को रू0 1052.56 करोड की चतुर्थ किश्त की धनराशि तथा कुल रू0 10190.59 करोड की धनराशि किसानो के खाते में अंतरित की जा चुकी है।


प्रधानमंत्री किसान मान-धन (पी0एम0-के0एम0वाई0) योजना- वर्ष 2019-20 में प्रदेश के लघु एवं सीमान्त कृषकों को सामाजिक सुरक्षा कवच उपलब्ध कराने एवं वृद्धावस्था में उनकी आजीविका के साधन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से स्वैच्छिक रूप से पुरूष व महिला दोनों के लिए 60 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर रू0 3000 प्रतिमाह की एक सुनिश्चित मासिक पेंशन योजना है। यह एक स्वैछिक एवं अंशदायी पेंशन योजना है। माह नवम्बर, 2019 तक 235005 लाभार्थियों को कार्ड उपलब्ध कराया जा चुका है, जिसमें पुरूष 75.7 प्रतिशत एवं महिला 32 प्रतिशत हैं। इस योजना में 18-25 आयु वर्ग के 23.8 प्रतिशत, 26-35 आयु वर्ग के 49.8 प्रतिशत तथा 36-40 आयु वर्ग के 26.4 प्रतिशत लाभार्थी हैं।


फसली ऋण-रबी 2019 के लिए निर्धारित रू0 76975.23 करोड़ फसली ऋण वितरण लक्ष्य के सापेक्ष रू0 17190.20 करोड़ का वितरण माह नवम्बर, 2019 तक किया गया है।


किसान क्रेडिट कार्ड-वर्ष 2019-20 के लिए निर्धारित 44.32 लाख किसान क्रेडिट कार्ड वितरण लक्ष्य के सापेक्ष माह नवम्बर, 2019 तक 35.66 लाख किसान क्रेडिट कार्ड का वितरण किया जा चुका है।


 
मृदा स्वास्थ्य कार्ड- प्रथम चक्र में 49.28 लाख मृदा नमूनें एकत्रित कर विश्लेषित कराते हुये 170.15 लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड कृषकों को निःशुल्क वितरित कराये जा चुके हैं। द्वितीय चक्र (2017-18 एवं 2018-19) में 50.95 लाख मृदा नमूनें एकत्रीकरण लक्ष्य के सापेक्ष 52.73 लाख मृदा नमूनों को संग्रहीत किया जा चुका है। संग्रहीत नमूनों में से 50.78 लाख मृदा नमूनों का विश्लेषण कराकर माह नवम्बर, 2019 तक 198.12 लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड कृषकों को निःशुल्क वितरित कराये जा चुके हैं।


माॅडल ग्राम योजना (वर्ष 2019-20)- योजनान्तर्गत 821 चयनित माॅडल ग्राम से 2.55 लाख मृदा नमूने एकत्रीकरण लक्ष्य के सापेक्ष 2.55 लाख मृदा नमूनो को संग्रहीत किया गया तथा 2.49 लाख मृदा नमूना का विश्लेषण कराकर माह नवम्बर, 2019 तक 1.99 लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड का वितरण किया गया।


खेत-तालाब योजना- प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अन्तर्गत वर्ष 2019-20 में 7000 खेत तालाब निर्माण लक्ष्य के सापेक्ष 2466 तालाबो का निर्माण माह नवम्बर, 2019 तक किया जा चुका है।


पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना-योजनान्तर्गत वर्ष 2019-20 हेतु 45395 हे0 भूमि सुधार के लक्ष्य के सापेक्ष माह नवम्बर, 2019 तक 22563 हे0 भूमि का सुधार कराया जा चुका है।


सोलर पम्प- सोलर पम्प योजनान्तर्गत वर्ष 2019-20 में 10000 लक्ष्य के सापेक्ष 10108 कृषको का चयन किया गया। इसके सापेक्ष 8986 सोलर पम्पो की आपूर्ति कराते हुए 6844 सोलर पम्पो की स्थापना करायी जा चुकी है। प्रधानमंत्री कुसुम योजनांतर्गत 8000 सोलर पम्पो की स्वीकृति प्राप्त हुयी है जिनकी स्थापना की कार्यवाही क्रमागत है। 


वर्मी कम्पोस्ट- वर्ष 2018-19 के अवशेष 39523 एवं वर्ष 2019-20 में 96953 कुल 136476 वर्मी कम्पोस्ट इकाई की स्थापना लक्ष्य के सापेक्ष दिनांक 10.12.2019 तक 23725 वर्मी कम्पोस्ट यूनिट की स्थापना करायी जा चुकी है।


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गर्भावस्था में गर्भनाल बच्चों को देता है पोषण -सही पोषण बच्चे के विकास और मां के स्वास्थ्य के लिए जरुरी - सुरक्षा के साथ-साथ मिलता है पोषण देवरिया, 27 सितम्बर। गर्भनाल महिला के ही शरीर का अभिन्न अंग होता है, जो गर्भावस्था के दौरान बच्चे को सुरक्षा और पोषण देने का काम करता है। बच्चा इसी के सहारे मां के गर्भ में जीवित रहता है। गर्भवती इसी नाल के माध्यम से ही अपने बच्चे से जुड़ी होती हैं। सही पोषण बच्चे के विकास और मां के स्वास्थ्य के लिए बेहद जरुरी है। मां का पोषण नितांत आवश्यक है ताकि गर्भनाल के जरिये पेट में पल रहे बच्चे को भी सही पोषण मिल सके। जिला महिला अस्पताल की प्रभारी प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डॉ. अल्पना रानी का कहना है, ‘‘गर्भनाल कई तरीकों से बच्चे के लिए महत्वपूर्ण होती है। बच्चे के कुल वजन का छठा हिस्सा इसी गर्भनाल का होता है। बच्चे के विकास में गर्भनाल अहम भूमिका निभाती है।‘’ सीएमएस ने बताया कि गर्भनाल ही बच्चे के विकास को प्रेरित करती है। इसी की वजह से बच्चा मां के गर्भ में जीवित रहता है। यह सुरक्षा के साथ-साथ पोषण देने का भी काम करती है। यह बच्चे को कई तरह के संक्रमण से सुरक्षित रखने काम करती है। गर्भनाल शरीर में लैक्टोजन के बनने में मदद करती है, जो मां के शरीर में दूध बनने की प्रक्रिया को प्रेरित करता है। गर्भनाल मां और बच्चे को जोड़ने का काम करती है। मां जो कुछ भी खाती है, आहार नाल के माध्यम से उसका पोषण बच्चे को भी मिलता है। गर्भनाल बच्चे के लिए फिल्टर की तरह भी काम करती है। यह उस तक सिर्फ पोषण पहुंचाती है और विषैले पदार्थों को भ्रूण तक नहीं जाने देती। बच्चे के जन्म के कुछ दिनों बाद नाल खुद ही सूखकर गिर जाती है। इसका काम केवल बच्चे को मां के गर्भ में पोषण और विकास के लिए आवश्यक तत्व देने का है। गर्भावस्था में खाने का खास ध्यान गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अपने खाने का खास ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि सही पोषण बच्चे के विकास और मां के स्वास्थ्य दोनों को बनाए रखने के लिए जरूरी है। महिलाओं को ध्यान रखना चाहिए कि गर्भावस्था के दौरान उनके पोषण में विटामिन और मिनरल्स की कमी न हो। इसके साथ ही माता गर्भावस्था में आयरन व फोलिक एसिड से भरपूर भोजन ले, जो कि गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास व बढ़त के लिए जरूरी है। वहीं जन्म से छह माह तक बच्चे के लिए माँ का दूध बच्चे की सभी पोषक तत्वों की आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। अतः छह माह तक शिशु को केवल स्तनपान कराना चाहिए।
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