*परिवार नियोजन कार्यक्रम में युवा वर्ग को जोड़ें : मंत्री* - प्रवासियों को परिवार नियोजन के साधनों के प्रति करें जागरूक - प्रदेश में मिशन मोड में चलाए जाएंगे परिवार नियोजन के कार्यक्रम *संतकबीरनगर , 28 सितंबर 2020* प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में अब परिवार नियोजन कार्यक्रम को मिशन मोड में चलाने की तैयारी हो रही है। इससे जहां शिशु व मातृ मृत्यु दर में कमी आएगी वहीं घर-घर बेहतर स्वास्थ्य के आयाम मिल सकेंगे । उन्होने विभाग के अधिकारियों को सलाह दी है कि वह प्रदेश के युवा दंपति को परिवार नियोजन कार्यक्रम से जोड़ें। स्वास्थ्य मंत्री विश्व गर्भ निरोधक दिवस के एक दिन पूर्व एक वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। यह वर्चुअल संवाद स्वास्थ्य विभाग की ओर से बिल एंड मिलेंडा गेट्स फाउंडेशन की सहयोगी संस्था ममता एचएमआईएस के सहयोग से आयोजित किया था। स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी लाभार्थियों के लिए गर्भनिरोधक सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए एक सरकारी आदेश जारी किया है। राज्य ने उन सभी प्रवासियों के लिए आजीविका और सामाजिक सुरक्षा का अधिकार भी सुनिश्चित किया है जो कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान इस राज्य में वापस लौटकर आए हैं। फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ता ग्रामीणों के लिए अल्पकालीन गर्भनिरोधक विधियों के संबंध में परिवार नियोजन सेवाएं स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराने के लिए कठिन परिश्रम कर रहे हैं। वहीं आईएएस अधिकारी आलोक कुमार ने कहा कि हमें कोविड-19 की वजह से परिवार नियोजन के फायदों से वंचित नहीं होना चाहिए। बच्चों के जन्म में अंतर रखने की अस्थायी गर्भनिरोधक विधियों पर ध्यान देते हुए सभी प्रणालियों को फिर से सक्रिय करना है। इस वर्चुअल आयोजन को संबोधित करती हुई एनएचएम एमडी अपर्णा उपाध्याय ने बताया कि परिवार नियोजन को मिशन मोड पर लाने के बारे में समझाया। उन्होने बताया कि परिवार नियोजन को मिशन मोड पर लाने के बाद ऊपर से नीचे तक सब मिलकर इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाएंगे। उन्होने बताया कि हमारी एमसीपीआर दर आदर्श रूप से 52% होनी चाहिए। यह लंबे समय से 31% ही है। हमें इसे मिशन मोड में बढ़ाना चाहिए। कुछ जिलों में यह दर ज्यादा है और कुछ जिलों में यह कम है। वहीं डॉ. राकेश दुबे, महानिदेशक, परिवार कल्याण, उत्तर प्रदेश सरकार ने बताया कि कम उम्र के दंपतियों की शादी जल्दी हो जाती है और उन्हें परिवार नियोजन के बारे में ज्यादा नहीं मालूम होता है। इस वजह से सरकार इन कम उम्र के लोगों को समुदाय के अनुकूल विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा लक्षित कर रही है। बीएमजीएफ के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. देवेंद्र खंडैत ने कहा कि परिवार नियोजन विधि को समुदाय तक पहुंचाना अगला महत्वपूर्ण कदम है। परिवार नियोजन और बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भ निरोधक विधि को एक में शामिल करना राज्य की और हमारी साझा प्राथमिकता है। बीएमजीएफ के फेमिली प्लानिंग पॉलिसी की कंट्री लीड मेधा गांधी ने कहा मैं समुदाय के अनुकूल विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से कम उम्र के दंपतियों के लिए परिवार नियोजन में बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भनिरोधक विधि को प्राथमिकता देने में उत्तर प्रदेश में महान नेत़ृत्व को बधाई देती हूँ। पॉप कौंसिल के कंट्री डायरेक्टर डॉ. निरंजन सगुरती कहा कि आजकल जानकारी डिजिटल और सोशल मीडिया पर मिलती है पर लड़कों और लड़कियों के बीच में डिजिटल डिवाइड काफी बड़ा है। ममता एचआईएमसी के इग्ज़ेक्यटिव डायरेक्टर डॉ. सुनील मेहरा ने कहा कि फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को कम उम्र के और कम बच्चों वाले दंपतियों तक पहुँचने का अतिरिक्त प्रयास करने की जरूरत है। इस वर्चुअल कार्यशाला का समापन परिवार नियोजन पर जागरूकता उत्पन्न करने और इसे उपलब्ध कराने, कोविड-19 के बीच में कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) में बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भनिरोधक विधियों पर फोकस करने, कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) के लिए परिवार नियोजन सेवाओं के प्रति सरकार की वचनबद्धता को सुदृढ़ करने और बच्चों के जन्म में अंतर रखने वाली गर्भनिरोधक विधियों का कवरेज करने वाले सूचकों को विकसित करते हुए गुणवत्ता नियंत्रण कार्यप्रणाली को बढ़ाने पर फोकस करने और इसके लिए बजटीय प्रावधान करने का आश्वासन देते हुए किया गया। इस वर्चुअल आयोजन के लिए सभी ने यूपीटीएसयू, सीफार और पीएसआई संस्था को धन्यवाद दिया। *कोविड-19 काल : परिवार नियोजन विधि को प्राथमिकता देना* एक आकलन के अनुसार, उत्तर प्रदेश में चार महिलाओं और लड़कियों में से लगभग एक महिला या लड़की को बच्चे के जन्म में अंतर रखने की विधि की अपूर्ण आवश्यकता है। कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) की आधुनिक गर्भ निरोधक प्रसार दर सिर्फ 13% है। ये वे महिलाएँ हैं जो बच्चों के जन्म में अंतर रखना चाहती हैं लेकिन गर्भनिरोधक की आधुनिक विधि का इस्तेमाल नहीं कर रही हैं। इसके कई कारण हैं, जैसे- स्वास्थ्य कार्यकर्ता की कम पहुँच, परिवार नियोजन पर आपस में बातचीत की कमी, आदि। ये इन गर्भनिरोधक विधियों तक कम उम्र के लोगों की पहुँच में मुख्य बाधक हैं। वर्तमान कोविड-19 वैश्विक महामारी के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार ने हमेशा अपनी वचनबद्धता दोहराई है और कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) के बच्चे पैदा करने की योजना बनाने के लिए नए और सुरक्षित गर्भनिरोधक अंतर विकल्प प्रदान किये हैं तथा परिवार नियोजन उत्पादों के वितरण और परामर्श सेवाएँ प्रदान करने के लिए आवश्यक सेवाओं एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को बढ़ाया है। *जिले के स्वास्थ्य अधिकारी भी हुये शामिल* इस वर्चुअल कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग के कई मुख्य राज्य अधिकारी और सीएमओ समेत जिला के अधिकारी एवं स्वास्थ्य के मुद्दों पर कार्यरत विभिन्न सिविल सोसायटी के प्रतिनिधि भी शामिल हुए और कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) में बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भनिरोधक विधि संबंधी मुद्दों पर प्रकाश डाला। *इन मुद्दों पर हुई चर्चा* • परिवार नियोजन, बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भनिरोधक विधियों और नई गर्भनिरोधक विधियों पर जोर देना • प्रदान की जा रही परिवार नियोजन सेवाओं की गुणवत्ता को परिलक्षित करने के लिए मॉनीटरिंग और समीक्षा कार्यप्रणाली • कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) के लिए परिवार नियोजन सेवाओं के बजटीय आवंटन पर फोकस करना


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*उमरिया प्रधानाचार्य तीन दिनों में प्रस्तुत करें शैक्षिक अहर्ता प्रमाण पत्र: डीआईओएस* -जिला विद्यालय निरीक्षक के पत्र से मचा हड़कम्प, जबाब देना हुआ मुश्किल ◼️◼️◼️ धनघटा(सन्तकबीरनगर) वरिष्ठता को दरकिनार कर कनिष्ठ व्यक्ति को पदभार दिए जाने को लेकर उमरिया बाजार इंटर कालेज ,उमरिया बाजार में प्रधानाचार्य पद का मामला गहराता जा रहा है। जिला विद्यालय निरीक्षक गिरीश कुमार सिंह ने प्रधानाचार्य को नोटिस भेजकर तीन दिनों के अंदर प्रधानाध्यापक की अहर्ता से सम्बंधित समस्त शैक्षिक प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने का फरमान जारी किया है, जिससे विद्यालय में हड़कंप मच गया है। बतातें चले कि विद्यालय में उमरिया बाजार इंटर कालेज में 31 मार्च 2020 को प्रधानाचार्य जय चन्द्र यादव के सेवानिवृत्त से रिक्त पद पर नियमानुसार विद्यालय के वरिष्ठ व अहर्ताधारी शिक्षक लाल चन्द्र यादव को तदर्थ प्रधानाचार्य का पदभार दिया जाना चाहिए था, किन्तु प्रबन्धक ने तथ्य गोपन व मनमानी करके कनिष्ठ शिक्षक राधेश्याम यादव को पदभार दे दिया, जिसको मान्यता देते हुए जिला विद्यालय निरीक्षक ने हस्ताक्षर भी प्रमाणित कर दिया। मामले की शिकायत छपरा निवासी सतेंद्र कुमार यादव ने जिला विद्यालय निरीक्षक से किया था। शिकायती पत्र में साक्ष्य के साथ अवगत कराया गया है कि प्रधानाचार्य स्नातक प्रथम वर्ष व बॉम्बे आर्ट का प्रशिक्षण संस्थागत छात्र के रूप में एक ही शैक्षिक सत्र वर्ष 1983 में हासिल किया है, जो विभागीय नियमों के विपरीत है। वे इंटरमीडिएट एजुकेशन एक्ट के अनुसार प्रधानाचार्य पद की निर्धारित अहर्ता भी पूरी नही करते हैं, अर्थात बीएड प्रशिक्षित भी नही है। वे प्रबन्धक द्वारा जारी विद्यालय की जेष्ठता सूची, जिसे संयुक्त शिक्षा निदेशक ने भी प्रमाणिक माना है, के अनुसार भी वरिष्ठ नही है। शिक्षक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी व उमरिया इंटर कालेज के पूर्व प्रधानाचार्य पारसनाथ यादव, जय चन्द्र यादव ने भी कहा है कि प्रधानाचार्य का पद वरिष्ठ व योग्य शिक्षक को दिया जाना चाहिए, जिला विद्यालय निरीक्षक का निर्णय स्वागत योग्य हैं। *किसी भी शिक्षक के साथ अन्याय नही होने देंगे: संजय द्विवेदी* ◾◾◾ सन्तकबीरनगर। प्रकरण के वावत पूछने पर उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के मण्डलीय मंत्री संजय द्विवेदी ने कहा कि नियमानुसार वरिष्ठ व अहर्ताधारी शिक्षक को ही प्रधानाचार्य का पदभार दिया जाना चाहिए था, किन्तु ऐसा किया नही गया। हम जनपद में किसी भी शिक्षक के साथ अन्याय नही होने देंगे। प्रधानाचार्य का पदभार उसी को मिलेगा, जिसका हक होगा।
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