प्रकृति ने दिखाया हमारे क्रोध की कोई दवाई नहीं ।।

प्रकृति ने दिखाया हमारे क्रोध की कोई दवाई नहीं ।।
       मंदिरों की मूर्तियों ने सिखाया हम भी कुछ नहीं ।
       मस्जिद की मीनारों ने सिखाया हम भी कुछ नहीं ।
       सत्ताधारियों ने सिखाया गरीबों के हम हमदर्द नहीं ।
       धर्म के ठेकेदारों सिखाया हमारा अब मतलब नहीं ।
       उद्योपतियों ने सिखाया हम मजदूरों के हितैषी नहीं ।
       पूंजीपति ने सिखाया हम देशवासी के हितैषी नहीं ।
प्रकृति ने दिखाया हमारे क्रोध की कोई दवाई नही ।।
        अन्नदाताओं ने सिखाया हमारे बिना भोजन नहीं ।
        मजदूर किसानों ने सिखाया हमारे बिना अन्न नहीं ।
        सूरज ने सिखाया हमारे बिना प्रकाश व गर्मी नहीं ।
        हवाओं ने सिखाया हमारे बिना आक्सीजन नहीं ।
        हिम शिखरों ने सिखाया हमारे बिना ग्लेशियर नहीं ।
       ग्लेशियर ने सिखाया हमारे बिना अनवरत जल नहीं।
प्रकृति ने दिखाया हमारे क्रोध की कोई दवाई नहीं ।।
       हिमालय ने सिखाया हमारे बिना शीतल जल नहीं ।
       उच्च हिमालय ने सिखाया हमारे बिना सौन्दर्य नहीं ।
       बादलों ने सिखाया हमारे बिना सुन्दर बरसात नहीं ।
       बृक्षों ने सिखाया हमारे बिना पक्षी सुरक्षित नहीं ।
       जंगलों ने सिखाया हमारे बिना जंगली जीव नहीं ।
       पहाड़ियों ने सिखाया हमारे बिना कठिन डगर नहीं ।
प्रकृति ने दिखाया हमारे क्रोध की कोई दवाई नहीं ।।
       पहाड़ों ने सिखाया हमारे बिना ऊंचाई तुलना नहीं ।
       नदियों ने सिखाया हमारे बिना बहता पानी नहीं ।
       झरनों ने सिखाया हमारे बिना जल धाराएं नहीं ।
       चांद ने सिखाया हमारे बिना धवल चांदनी रात नहीं ।
       तारों ने सिखाया हमारे बिना टिमटिमाती रात नहीं ।
       आसमान ने सिखाया हमारे बिना ग्रह ब्रम्हांड नहीं ।
प्रकृति ने दिखाया हमारे क्रोध की कोई दवाई नहीं ।।
       मनुष्यों ने सिखाया हमारे बराबर मतलबी नहीं ।
       पशुओं ने सिखाया मनुष्य से नीच कोई पशु नहीं ।
       पक्षियों ने सिखाया भ्रमण बिना जानकारी नहीं ।
       वनस्पतियों ने सिखाया मेरे बिना औषधियां नहीं ।
       फसलों ने सिखाया मेरे बिना भोज्य पदार्थ नहीं ।
       जीवों ने सिखाया स्वच्छंदता बिना प्रसन्नता नहीं ।
प्रकृति ने दिखाया हमारे क्रोध की कोई दवाई नहीं ।।
       समुद्र ने सिखाया हमारे बिना महासागर नहीं ।
       सागर ने सिखाया हमारे बिना खारा पानी नहीं ।
       खारापन ने सिखाया हमारे बिना मीठापन नहीं ।
       मीठापन ने सिखाया हमारे बिना नमकीन नहीं ।
       समुद्री शैवालों के बिना समुद्री जीव जन्तु नहीं ।
       महासागरों के बिना मौसम प्राकृतिक चक्र नहीं ।
प्रकृति ने दिखाया हमारे क्रोध की कोई दवाई नहीं ।।
                                हे प्रकृति
                        तू अपना चक्र पूरा कर 
                  घृणा अहंकार का सर्वनाश करl
                               
       
       
       


        


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