कोरोना का सबसे बड़ा सबक

#कोरोना का सबसे बड़ा सबक


#सचिन_अग्रवाल जी की एक छोटी सी फ़ैक्टरी थी, जिसमे वो मास्क सर्जिकल ग्लोवस के 50000 पीस का उत्पादन करते थे उनके बनाए पीस की लागत 20 रूपये आती थी, जिसे वो 25 रुपए मे बेचते थे और करीब 25 लोगो को रोजगार देते थे ऐसी ही एक फ़ैक्टरी #डेविड की अमेरिका मे थी, जिसमे वो 1 लाख पीस बना लेता था, उसकी लागत $0.45 प्रति पीस या 30 रूपये की थी #डेविड अमेरिका मे 10 लोगो को रोजगार देता था ऐसी छोटी छोटी अनेक फ़ैक्टरिया विश्व के अनेक हिस्सो मे थी, जो हजारो लोगो को रोजगारी देती थी!
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पर फिर एक दिन चीन मे #झिंगझांग नाम की एक व्यक्ति ने, चीन की सरकार की मदद से एक विश्व का सबसे बड़ा ऑटोमैटिक प्लांट लगाया जिनमे 80 मजदूरो के माध्यम से झिंगझांग एक महीने मे 50 लाख पीसो का उत्पादन करता था! सस्ती बिजली, सस्ते मजदूर, बड़ा प्लांट, सरकारी सब्सिडी की वजह से वह, 10 रुपए पीस मे मास्क बेचने लगा धीरे धीरे पूरे विश्व मे फ़ैक्टरिया बंद हो गयी हर कोई झिंगझांग से मास्क और ग्लोव खरीद कर बेचने लगा #अमेरिका मे #डेविड ने भी एक तरीका निकाला, वो बेचता तो अभी भी डेविड के नाम से ही था, पर वो उत्पादन झिंगझांग की फैक्ट्री से बनवा कर लेने लगा!
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#भारत भी कैसे अछूता रहता कुछ ट्रैडर , इंपोर्टर चीन से माल लाने लगे और 15 रुपए मे हजारो मास्क बेचने लगे
15 रूपय का मास्क 5 रूपये मे लाकर #duty बचाते सख्ती बढ़ी तो #Traders ने मंत्रालय मे सेटिंग कर, मास्क और #gloves को जरूरी आइटम बता, उस पर आयात शुल्क भी ख़त्म करा लिया!


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#सचिन_अग्रवाल तीन साल तक इससे लड़ते रहे, उन्होने अनेक चंबर ऑफ कॉमर्स के माध्यम से, एसोशिएशन के माध्यम से अपनी कहानी सरकारी अधिकारियों तक पहुचाई, पर हर जगह लालफीताशाही के चलते, उनकी कुछ नहीं सुनी गयी उनकी यूनिट का कम काम देख, बैंक ने भी ब्याज की दर बढ़ा दी और उन्हे परेशान करने लगे उधर सब डिपार्टमेंट को लगता था ये तो उधोगपति है, बहुत मोटा माल इसके पास है, थोड़ा हमे मिल जाएगा तो क्या घट जाएगा
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भरपूर संघर्ष के बाद, 3-4 साल मे #सचिन जी इस सिस्टम से हार गए उनका बैंक लोन एनपीए हो गया बैंक ने उनकी संपत्ति फ़ैक्टरी नीलाम कर दी लोगो ने आरोप लगाया की #सचिन फ्राड है, बैंक के पैसे खा गया उनकी फ़ैक्टरी के मजदूर बेरोजगार हो गए, और एक ठेकेदार के अंडर मे, आधे पैसो पर दुगना काम करने लगे एक्साइज़, इंकम टैक्स , सेल्स टैक्स सबने लाखो के मुकदमे सचिन जी पर डाल दिये सचिन जी का मकान बिक गया, बुरा समय आने पर रिश्तेदारों ने मुह मोड लिया वो एक छोटी सी दुकान चलाते हुए, परिवार के साथ, दो कमरो के मकान मे जीवन व्यतीत करने लगे पर दुकान की बिक्री भी ऑनलाइन कम्पनियों के चलते नगण्य थी!
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फिर एक दिन पूरी दुनिया मे #COVID19 नाम की महामारी फैली, इसकी शुरुआत #चीन से हुई चीन ने मास्क और ग्लवस के निर्यात पर पाबंदी लगा दी #डेविड की कंपनी हो या भारत के आयातक, सब बिना माल के बैठे थे चीन की स्थिति संभली तो उसने घटिया मास्क 100 रु पीस मे बेचने शुरू कर दिये पूरा विश्व मजबूर था, क्योंकि उनके पास कोई विकल्प नहीं था सचिन जी, एक हाथ मे मुकदमो का नोटिस और दूसरे हाथ मे अखबार मे इस महामारी के बारे मे पढ़ आँसू बहाते रहते थे आज उनकी छोटी सी फ़ैक्टरी चालू होती तो शायद वो अपने देश का स्वाभिमान न बिकने देते


यह मेरे द्वारा लिखी एक काल्पनिक कहानी है जिसका जीवित अथवा मृत किसी व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है पर ध्यान रखे, जब हम कोई आयातित उत्पाद खरीदते है, तो रोज अनेक #सचिन को मारते है! संकल्प ले, अब हम किसी #सचिन को झुकने नहीं देंगेl


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कार्यकर्ताओं को कम उम्र के और कम बच्चों वाले दंपतियों तक पहुँचने का अतिरिक्त प्रयास करने की जरूरत है। इस वर्चुअल कार्यशाला का समापन परिवार नियोजन पर जागरूकता उत्पन्न करने और इसे उपलब्ध कराने, कोविड-19 के बीच में कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) में बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भनिरोधक विधियों पर फोकस करने, कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) के लिए परिवार नियोजन सेवाओं के प्रति सरकार की वचनबद्धता को सुदृढ़ करने और बच्चों के जन्म में अंतर रखने वाली गर्भनिरोधक विधियों का कवरेज करने वाले सूचकों को विकसित करते हुए गुणवत्ता नियंत्रण कार्यप्रणाली को बढ़ाने पर फोकस करने और इसके लिए बजटीय प्रावधान करने का आश्वासन देते हुए किया गया। इस वर्चुअल आयोजन के लिए सभी ने यूपीटीएसयू, सीफार और पीएसआई संस्था को धन्यवाद दिया। *कोविड-19 काल : परिवार नियोजन विधि को प्राथमिकता देना* एक आकलन के अनुसार, उत्तर प्रदेश में चार महिलाओं और लड़कियों में से लगभग एक महिला या लड़की को बच्चे के जन्म में अंतर रखने की विधि की अपूर्ण आवश्यकता है। कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) की आधुनिक 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