गरीबों की मदद और सरकार के दिशा निर्देशों के पालन की बदौलत ही कोरोनावायरस पर पाया जा सकता जीत - डा उदय प्रताप चतुर्वेदी 

गरीबों की मदद और सरकार के दिशा निर्देशों के पालन की बदौलत ही कोरोनावायरस पर पाया जा सकता जीत - डा उदय प्रताप चतुर्वेदी


पी.के. सिंह - विशेष संवाददाता


कॅरोना वायरस के चलते देश ही नही समूचे विश्व की मानव सभ्यता पर खतरा उत्पन्न हो गया है। इस खतरनाक वायरस पर फतह हासिल करने के लिए हमे संयम, एकजुटता और दिये जा रहे दिशा निर्देशों का ईमानदारी से पालन करना होगा। साथ ही लाकडाउन के कारण गरीब परिवारों के पेट की भूख मिटाने के लिए हम सबको एक साथ अभियान चलाना होगा। तभी हम देश के सामने खड़े इस गंभीर हालात से बाहर निकल सकते हैं। उक्त बातें सूर्या इण्टरनेशनल एकेडमी के एमडी एवं सामाजिक उन्नयन के कर्णधार डा उदय प्रताप चतुर्वेदी ने शुक्रवार को एक मुलाकात के दौरान कही। डा चतुर्वेदी ने कहा कि कॅरोना जैसी महामारी के चलते देश का हर एक नागरिक आज संकट मे हैं। सरकार द्वारा जारी किये जा रहे दिशा निर्देशों का पालन करना हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है। घरों के अंदर रहें, मुंह और नाक ढंक कर रखें, साफ सफाई का ध्यान दें, गांवों के क्वाॅरेंटाइन केन्द्रों पर मौजूद दूर शहरों से आए लोग अपनी, अपने परिवार और समाज की सुरक्षा के लिए केन्द्रों पर 14 दिनों का समय गुजारें तभी हम और आप इस खतरनाक वायरस से सुरक्षित रह सकते हैं। डा चतुर्वेदी ने कहा कि खुद की सुरक्षा के साथ हमें अपने ही समाज के उन भाईयों की मदद के लिए आगे आना चाहिए जिनके सामने भूख जैसा दानव मुंह बाये खड़ा है। कॅरोना से जंग लड़ने के प्रयास मे अगर हमारे समाज का कोई भी व्यक्ति भूखा रह गया तो हमारा सामाजिक ताना बाना और मानव सभ्यता खंडित हो जाएगी। उन्होंने लोगों से अपील किया कि खुद को सुरक्षित रखते हुए गरीब भाईयों की मदद मे दिल खोलकर आगे आयें और वसुधैव कुटुंबकम् की भारतीय संस्कृति की रक्षा करें।


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अधिकार भी सुनिश्चित किया है जो कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान इस राज्य में वापस लौटकर आए हैं। फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ता ग्रामीणों के लिए अल्पकालीन गर्भनिरोधक विधियों के संबंध में परिवार नियोजन सेवाएं स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराने के लिए कठिन परिश्रम कर रहे हैं। वहीं आईएएस अधिकारी आलोक कुमार ने कहा कि हमें कोविड-19 की वजह से परिवार नियोजन के फायदों से वंचित नहीं होना चाहिए। बच्चों के जन्म में अंतर रखने की अस्थायी गर्भनिरोधक विधियों पर ध्यान देते हुए सभी प्रणालियों को फिर से सक्रिय करना है। इस वर्चुअल आयोजन को संबोधित करती हुई एनएचएम एमडी अपर्णा उपाध्याय ने बताया कि परिवार नियोजन को मिशन मोड पर लाने के बारे में समझाया। उन्होने बताया कि परिवार नियोजन को मिशन मोड पर लाने के बाद ऊपर से नीचे तक सब मिलकर इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाएंगे। उन्होने बताया कि हमारी एमसीपीआर दर आदर्श रूप से 52% होनी चाहिए। यह लंबे समय से 31% ही है। हमें इसे मिशन मोड में बढ़ाना चाहिए। कुछ जिलों में यह दर ज्यादा है और कुछ जिलों में यह कम है। वहीं डॉ. राकेश दुबे, महानिदेशक, परिवार कल्याण, उत्तर प्रदेश सरकार ने 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गर्भ निरोधक प्रसार दर सिर्फ 13% है। ये वे महिलाएँ हैं जो बच्चों के जन्म में अंतर रखना चाहती हैं लेकिन गर्भनिरोधक की आधुनिक विधि का इस्तेमाल नहीं कर रही हैं। इसके कई कारण हैं, जैसे- स्वास्थ्य कार्यकर्ता की कम पहुँच, परिवार नियोजन पर आपस में बातचीत की कमी, आदि। ये इन गर्भनिरोधक विधियों तक कम उम्र के लोगों की पहुँच में मुख्य बाधक हैं। वर्तमान कोविड-19 वैश्विक महामारी के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार ने हमेशा अपनी वचनबद्धता दोहराई है और कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) के बच्चे पैदा करने की योजना बनाने के लिए नए और सुरक्षित गर्भनिरोधक अंतर विकल्प प्रदान किये हैं तथा परिवार नियोजन उत्पादों के वितरण और परामर्श सेवाएँ प्रदान करने के लिए आवश्यक सेवाओं एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को बढ़ाया है। *जिले के स्वास्थ्य अधिकारी भी हुये शामिल* इस वर्चुअल कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग के कई मुख्य राज्य अधिकारी और सीएमओ समेत जिला के अधिकारी एवं स्वास्थ्य के मुद्दों पर कार्यरत विभिन्न सिविल सोसायटी के प्रतिनिधि भी शामिल हुए और कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) में बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भनिरोधक विधि संबंधी मुद्दों पर प्रकाश डाला। *इन मुद्दों पर हुई चर्चा* • परिवार नियोजन, बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भनिरोधक विधियों और नई गर्भनिरोधक विधियों पर जोर देना • प्रदान की जा रही परिवार नियोजन सेवाओं की गुणवत्ता को परिलक्षित करने के लिए मॉनीटरिंग और समीक्षा कार्यप्रणाली • कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) के लिए परिवार नियोजन सेवाओं के बजटीय आवंटन पर फोकस करना
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