कोरोना को लेकर घबराये नहीं, सावधान रहने की जरूरत#डॉक्टर ए के सिन्‍हा, जिला सर्विलांस अधिकारी*

*कोरोना को लेकर घबराने नहीं, सावधान रहने की जरूरत*


-    सावधानी बरत कर ही हम दे सकते हैं कोरोना को मात


-    विदेश तथा दूसरे राज्‍यों से आने वालों से 14 दिनों तक रहें दूर


संतकबीरनगर, 26 मार्च 2020


कोरोना के वायरस से लोगों को बचाने और इस मुश्किल दौर से हर किसी को उबारने के लिए सरकार द्वारा हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं । चिकित्सकों द्वारा भी बराबर यही बताया जा 
कोरोना के वायरस से लोगों को बचाने और इस मुश्किल दौर से हर किसी को उबारने के लिए सरकार द्वारा हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं । चिकित्सकों द्वारा भी बराबर यही बताया जा रहा है कि कोरोना का कोई मुकम्मल इलाज अभी नहीं है, इसलिए हर किसी को बेहद सावधानी बरतने की जरूरत है । सावधानी बरतकर ही हम कोरोना को मात दे सकते हैं । इस बारे में सभी को जागरूक करने के लिए हर जिले के साथ ही प्रदेश स्तर पर हेल्प डेस्क और हेल्प लाइन की व्यवस्था की गयी है, जिसके जरिये लोगों के सवालों का उचित जवाब मिल रहा है ।


जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ ए के सिन्‍हा का कहना है कि कोरोना को लेकर हम तीन महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं पर फोकस करने के साथ ही उन्हें क्या सावधानी बरतनी है, उस बारे में जागरूक कर रहे हैं । इसमें पहला है –यदि आप विदेश से लौटे हैं, दूसरा- यदि आप दूसरे राज्य या शहर से गाँव लौटे हैं और तीसरा- यदि आप सामान्य नागरिक हैं तो क्या जरूरी सावधानी बरतनी है ।


*यदि विदेश से लौटे हैं तो क्‍या करें*
वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान विदेश से आने वालों को बताया जा रहा है कि आप  घबराएं नहीं, 14 दिनों तक घर के एक अलग कमरे में परिवार वालों से दूर रहें । इस तरह से आप अपने साथ परिवार वालों को भी कोरोना से बचा सकते हैं । जिस कमरे में रह रहे हैं उसमें एक लीटर पानी में 15 ग्राम  ब्लीचिंग पाउडर मिलाकर पोछा लगाएं । इस दौरान परिवार वालों के साथ ही किसी अन्य से भी हाथ मिलाने और गले मिलने से बचें । विदेश से लौटने के 28 दिनों के भीतर यदि खांसी, बुखार या सांस लेने में तकलीफ जैसे कोई भी लक्षण दिखें तो तत्काल स्वास्थ्य विभाग के टोल फ्री नंबर -1800-180-5145 अथवा अपने जिले के जिला सर्विलांस अधिकारी के मोबाइल नं 9415173404 से संपर्क करें ।


*दूसरे राज्य या शहर से गाँव लौटे हैं*
इस आपात स्थिति में दूसरे राज्यों और शहरों से लौटने वालों को भी यही सलाह दी जा रही है कि वह 14 दिन तक अपने परिवार के साथ घर पर ही रहें, बाहर न निकलें । धार्मिक स्थल, आयोजन, शादी व सामाजिक समारोह में कतई न जाएँ । बुखार और खांसी होने पर केवल पैरासीटामाल लें और घर पर आराम करें । इमरजेंसी की स्थिति जैसे तेज सांस फूलने या तेज बुखार होने पर स्वास्थ्य विभाग के टोल फ्री नंबर -1800-180-5145 पर संपर्क करें ।


*विदेश और दूसरे राज्‍य से आने वालों को देखकर न घबराएं*


विदेश यात्रा या दूसरे राज्य से आपके शहर, कस्बे या गाँव में लौटे व्यक्ति को देखकर घबराने की जरूरत नहीं है । ऐसे लोगों को सलाह दें कि वह लौटने के बाद 14 दिनों तक अपने घर में अलग कमरे में रहें और किसी के सम्पर्क में आने से बचें । अगर वह इस सलाह को नहीं मानते हैं तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है । विदेश यात्रा से लौटने के बाद यदि खांसी, बुखार या सांस फूलने जैसे लक्षण दिखाई दें तो ऐसे लोगों के साथ जो लोग निवास करते हैं केवल उनको ही कोरोना की जांच कराने की आवश्यकता है, अन्य लोगों को जाँच कराने की जरूरत नहीं है । भीड़भाड़ वाले स्थलों और आयोजनों में शामिल होने से बचें । आपस में बातचीत करते समय कम से कम दो मीटर की दूरी बनाए रखें ।


*इन टोल फ्री नम्‍बरों पर करें सम्‍पर्क*


चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, उत्तर प्रदेश  - 1800-180-5145 , स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय –011- 23978046, टोल फ्री नंबर- 1075


 


*फोटो*


*डॉ ए के सिन्‍हा, जिला सर्विलांस अधिकारी*


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अधिकार भी सुनिश्चित किया है जो कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान इस राज्य में वापस लौटकर आए हैं। फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ता ग्रामीणों के लिए अल्पकालीन गर्भनिरोधक विधियों के संबंध में परिवार नियोजन सेवाएं स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराने के लिए कठिन परिश्रम कर रहे हैं। वहीं आईएएस अधिकारी आलोक कुमार ने कहा कि हमें कोविड-19 की वजह से परिवार नियोजन के फायदों से वंचित नहीं होना चाहिए। बच्चों के जन्म में अंतर रखने की अस्थायी गर्भनिरोधक विधियों पर ध्यान देते हुए सभी प्रणालियों को फिर से सक्रिय करना है। इस वर्चुअल आयोजन को संबोधित करती हुई एनएचएम एमडी अपर्णा उपाध्याय ने बताया कि परिवार नियोजन को मिशन मोड पर लाने के बारे में समझाया। उन्होने बताया कि परिवार नियोजन को मिशन मोड पर लाने के बाद ऊपर से नीचे तक सब मिलकर इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाएंगे। उन्होने बताया कि हमारी एमसीपीआर दर आदर्श रूप से 52% होनी चाहिए। यह लंबे समय से 31% ही है। हमें इसे मिशन मोड में बढ़ाना चाहिए। कुछ जिलों में यह दर ज्यादा है और कुछ जिलों में यह कम है। वहीं डॉ. राकेश दुबे, महानिदेशक, परिवार कल्याण, उत्तर प्रदेश सरकार ने बताया कि कम उम्र के दंपतियों की शादी जल्दी हो जाती है और उन्हें परिवार नियोजन के बारे में ज्यादा नहीं मालूम होता है। इस वजह से सरकार इन कम उम्र के लोगों को समुदाय के अनुकूल विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा लक्षित कर रही है। बीएमजीएफ के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. देवेंद्र खंडैत ने कहा कि परिवार नियोजन विधि को समुदाय तक पहुंचाना अगला महत्वपूर्ण कदम है। परिवार नियोजन और बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भ निरोधक विधि को एक में शामिल करना राज्य की और हमारी साझा प्राथमिकता है। बीएमजीएफ के फेमिली प्लानिंग पॉलिसी की कंट्री लीड मेधा गांधी ने कहा मैं समुदाय के अनुकूल विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से कम उम्र के दंपतियों के लिए परिवार नियोजन में बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भनिरोधक विधि को प्राथमिकता देने में उत्तर प्रदेश में महान नेत़ृत्व को बधाई देती हूँ। पॉप कौंसिल के कंट्री डायरेक्टर डॉ. निरंजन सगुरती कहा कि आजकल जानकारी डिजिटल और सोशल मीडिया पर मिलती है पर लड़कों और लड़कियों के बीच में डिजिटल डिवाइड काफी बड़ा है। ममता एचआईएमसी के इग्ज़ेक्यटिव डायरेक्टर डॉ. सुनील मेहरा ने कहा कि फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को कम उम्र के और कम बच्चों वाले दंपतियों तक पहुँचने का अतिरिक्त प्रयास करने की जरूरत है। इस वर्चुअल कार्यशाला का समापन परिवार नियोजन पर जागरूकता उत्पन्न करने और इसे उपलब्ध कराने, कोविड-19 के बीच में कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) में बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भनिरोधक विधियों पर फोकस करने, कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) के लिए परिवार नियोजन सेवाओं के प्रति सरकार की वचनबद्धता को सुदृढ़ करने और बच्चों के जन्म में अंतर रखने वाली गर्भनिरोधक विधियों का कवरेज करने वाले सूचकों को विकसित करते हुए गुणवत्ता नियंत्रण कार्यप्रणाली को बढ़ाने पर फोकस करने और इसके लिए बजटीय प्रावधान करने का आश्वासन देते हुए किया गया। इस वर्चुअल आयोजन के लिए सभी ने यूपीटीएसयू, सीफार और पीएसआई संस्था को धन्यवाद दिया। *कोविड-19 काल : परिवार नियोजन विधि को प्राथमिकता देना* एक आकलन के अनुसार, उत्तर प्रदेश में चार महिलाओं और लड़कियों में से लगभग एक महिला या लड़की को बच्चे के जन्म में अंतर रखने की विधि की अपूर्ण आवश्यकता है। कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) की आधुनिक गर्भ निरोधक प्रसार दर सिर्फ 13% है। ये वे महिलाएँ हैं जो बच्चों के जन्म में अंतर रखना चाहती हैं लेकिन गर्भनिरोधक की आधुनिक विधि का इस्तेमाल नहीं कर रही हैं। इसके कई कारण हैं, जैसे- स्वास्थ्य कार्यकर्ता की कम पहुँच, परिवार नियोजन पर आपस में बातचीत की कमी, आदि। ये इन गर्भनिरोधक विधियों तक कम उम्र के लोगों की पहुँच में मुख्य बाधक हैं। वर्तमान कोविड-19 वैश्विक महामारी के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार ने हमेशा अपनी वचनबद्धता दोहराई है और कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) के बच्चे पैदा करने की योजना बनाने के लिए नए और सुरक्षित गर्भनिरोधक अंतर विकल्प प्रदान किये हैं तथा परिवार नियोजन उत्पादों के वितरण और परामर्श सेवाएँ प्रदान करने के लिए आवश्यक सेवाओं एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को बढ़ाया है। *जिले के स्वास्थ्य अधिकारी भी हुये शामिल* इस वर्चुअल कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग के कई मुख्य राज्य अधिकारी और सीएमओ समेत जिला के अधिकारी एवं स्वास्थ्य के मुद्दों पर कार्यरत विभिन्न सिविल सोसायटी के प्रतिनिधि भी शामिल हुए और कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) में बच्चों के जन्म में अंतर 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