कच्ची दारू के अवैध व्यापारी भट्ठा मालिक के आगे आबकारी इंस्पेक्टर नतमस्तक @ सहजनवा गोरखपुर

 कच्ची दारू के अवैध व्यापारी भट्ठा मालिक के आगे आबकारी इंस्पेक्टर नतमस्तक।
जनपद गोरखपुर के सहजनवा तहसील में अवैध कच्ची दारू के निर्माण जोरों पर है। भट्ठा मालिकों के आगे आबकारी इंस्पेक्टर नतमस्तक होकर अपनी नौकरी करते हैं। उसके बदले में अपनी मोटी जेब गर्म करते हैं। सहजनवा तहसील के कई भक्तों पर अवैध दारू बनाई जाती है। पाली ब्लॉक में भट्ठा मालिक के आगे आबकारी अधिकारियों की एवं सहजनवा पुलिस की मिलीभगत से निरंतर कच्ची दारू का अवैध कारोबार फल फूल रहा है। आबकारी अधिकारी अपने ऑफिसों में बैठकर मौज फरमा रहे हैं। सूचना देने के लिए अधिकारियों को एक फोन किया जाए तो फोन भी नहीं उठाते। और यह फोन भी उठ गया तो बहाने बनाते हैं मैं गया था भट्टे  पर उसको बंद करा दिया था अब वह दोबारा चालू कर लिया होगा फिर बंद करा दूंगा। गोरखपुर जनपद उत्तर प्रदेश के यह जस्सी मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ का गृह जनपद है। मुख्यमंत्री दिन रात एक कर पूरे प्रदेश में अवैध दारू की रोकथाम के लिए दिन रात प्रयास कर रहे हैं। वही गोरखपुर जनपद के आबकारी अधिकारियों के साथ पर पूरे जनपद में अवैध कारोबार चल रहा है। अपने ही जनपद के अधिकारी मुख्यमंत्री जी को बदनाम करने में लगे है। कब सुधरेंगे यह अधिकारी। आबकारी अधिकारियों की निष्क्रियता की वजह से समाज में ऐसे गलत काम हो रहे हैं। आए दिन कच्ची दारू से लोगों की जान चली जाती। क्योंकि कच्ची दारू मैं नशीली दवाइयों का प्रयोग करके बनाया जाता है। आबकारी विभाग पुलिस विभाग के ऊपर आरोप लगाते हैं। पुलिस विभाग आबकारी विभाग के ऊपर आरोप लगाते यही जुमला इन अधिकारियों का चलता रहता है एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाना। और अपनी जेब भरते रहते हैं। भक्तों पर जो ईद को बेचने के लिए मुनीम होते हैं उनका कहना है हर हफ्ते सजनवा थाने पर ₹10000 भेजा जाता है। और गोरखपुर आबकारी इंस्पेक्टर अरविंद सिंह को भी ₹10000 भेजा जाता है। ऐसे भर्ती है इन अधिकारियों की जेब। इन अधिकारियों से बात करने पर लगता है कितने बड़े सत्यवादी हरिश्चंद्र है। लेकिन इन अधिकारियों का असली चेहरा भट्टे के मुनीम और आसपास की जनता बताती है। आबकारी अधिकारियों की रूटीन चेकिंग में बंद लिफाफे में पैसे दिए जाते हैं। साथ में हमराहीयों को भी मिठाइयों के डिब्बे देकर विदा किया जाता है। यही उनका रूटीन चेकिंग अभियान है। कब तक यह बुराइयां समाज में चलती रहेगी। अधिकारी अपना जेब गर्म करते रहेंगे।


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*उमरिया प्रधानाचार्य तीन दिनों में प्रस्तुत करें शैक्षिक अहर्ता प्रमाण पत्र: डीआईओएस* -जिला विद्यालय निरीक्षक के पत्र से मचा हड़कम्प, जबाब देना हुआ मुश्किल ◼️◼️◼️ धनघटा(सन्तकबीरनगर) वरिष्ठता को दरकिनार कर कनिष्ठ व्यक्ति को पदभार दिए जाने को लेकर उमरिया बाजार इंटर कालेज ,उमरिया बाजार में प्रधानाचार्य पद का मामला गहराता जा रहा है। जिला विद्यालय निरीक्षक गिरीश कुमार सिंह ने प्रधानाचार्य को नोटिस भेजकर तीन दिनों के अंदर प्रधानाध्यापक की अहर्ता से सम्बंधित समस्त शैक्षिक प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने का फरमान जारी किया है, जिससे विद्यालय में हड़कंप मच गया है। बतातें चले कि विद्यालय में उमरिया बाजार इंटर कालेज में 31 मार्च 2020 को प्रधानाचार्य जय चन्द्र यादव के सेवानिवृत्त से रिक्त पद पर नियमानुसार विद्यालय के वरिष्ठ व अहर्ताधारी शिक्षक लाल चन्द्र यादव को तदर्थ प्रधानाचार्य का पदभार दिया जाना चाहिए था, किन्तु प्रबन्धक ने तथ्य गोपन व मनमानी करके कनिष्ठ शिक्षक राधेश्याम यादव को पदभार दे दिया, जिसको मान्यता देते हुए जिला विद्यालय निरीक्षक ने हस्ताक्षर भी प्रमाणित कर दिया। मामले की शिकायत छपरा निवासी सतेंद्र कुमार यादव ने जिला विद्यालय निरीक्षक से किया था। शिकायती पत्र में साक्ष्य के साथ अवगत कराया गया है कि प्रधानाचार्य स्नातक प्रथम वर्ष व बॉम्बे आर्ट का प्रशिक्षण संस्थागत छात्र के रूप में एक ही शैक्षिक सत्र वर्ष 1983 में हासिल किया है, जो विभागीय नियमों के विपरीत है। वे इंटरमीडिएट एजुकेशन एक्ट के अनुसार प्रधानाचार्य पद की निर्धारित अहर्ता भी पूरी नही करते हैं, अर्थात बीएड प्रशिक्षित भी नही है। वे प्रबन्धक द्वारा जारी विद्यालय की जेष्ठता सूची, जिसे संयुक्त शिक्षा निदेशक ने भी प्रमाणिक माना है, के अनुसार भी वरिष्ठ नही है। शिक्षक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी व उमरिया इंटर कालेज के पूर्व प्रधानाचार्य पारसनाथ यादव, जय चन्द्र यादव ने भी कहा है कि प्रधानाचार्य का पद वरिष्ठ व योग्य शिक्षक को दिया जाना चाहिए, जिला विद्यालय निरीक्षक का निर्णय स्वागत योग्य हैं। *किसी भी शिक्षक के साथ अन्याय नही होने देंगे: संजय द्विवेदी* ◾◾◾ सन्तकबीरनगर। प्रकरण के वावत पूछने पर उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के मण्डलीय मंत्री संजय द्विवेदी ने कहा कि नियमानुसार वरिष्ठ व अहर्ताधारी शिक्षक को ही प्रधानाचार्य का पदभार दिया जाना चाहिए था, किन्तु ऐसा किया नही गया। हम जनपद में किसी भी शिक्षक के साथ अन्याय नही होने देंगे। प्रधानाचार्य का पदभार उसी को मिलेगा, जिसका हक होगा।
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