कोयलांचल__का_बव्वरशेर__सूर्यदेव_सिंह

#कोयलांचल__का_बव्वरशेर__सूर्यदेव_सिंह


1984 सिक्ख विरोधी दंगो के दशकों बाद भी जब कांग्रेस इसे जायज ठहराने के लिए कड़ी मशक्कत कर रही हो ।


तभी बलिया के शेर,कोयलांचल के किंग स्वर्गीय सूर्यदेव सिंह का जिक्र करना बेहद आवश्यक हो जाता है ।


सूर्यदेव सिंह तब चर्चा में आएँ जब उन्होंने झरिया के कोलफ़ील्ड में ही पंजाब के सबसे मजबूत पहलवान को मात्र 2 मिनट में पटखनी दे दी और उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नही देखा । तमाम अडचनो के बावजूद अनेकों मुकाम हासिल किया । पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर सिंह के बेहद करीबी मित्रों में से एक रहें लेकिन कभी उनसे राजनैतिक लाभ की उम्मीद नही रखी और तमाम आलोचनाओं के बाद भी ये दोस्ताना अमर रहा ।


 1984 में इंदिरा गाँधी की हत्या उनके ही सिक्ख अंगरक्षकों ने कर दी । 


और उसके उपरांत ही देश भर में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे मानों कुछ दिनों के लिए भारत हिल सा गया था । वह भयावहता वो हताहता जिसका जिक्र मात्र से ही रुंह काँप उठती है । पुलिस और राजनैतिक गठजोड़ से 3000 से ज्यादा सिक्खों का कत्लेआम कर दिया गया , हजारों सिक्ख अनाथ एवं बेघर हो गये । देश भर में इस सिक्ख विरोधी दंगो के इस क्रम से कोयलांचल का धनबाद अछूता नही रहा । राजीव गाँधी के ईशारे पर दुष्ट कांग्रेसीयों ने वहाँ के सिक्ख व्यपारियों पर हमले शुरू कर दिए और उन्हें बिहार छोड़ने की चेतावनी दे डाली ।


इन विपरीत परिस्थितियों में कोयलांचल के बाबू साहेब सूर्यदेव सिंह मैदान में आएं और खुलेआम चुनौती दे डाली की उनके रहते कोई माई का लाल सिक्खों को बिहार से बेदखल नही कर सकता ।


अब कमसे कम सूर्यदेव सिंह के चुनौती का सामना करने की हिम्मत तो कोई नही पाल सकता था.. अत: धनबाद और तत्कालीन बिहार के शहरों में सिक्खों पर हमले रुक गये ।


हमले तो रुक गये लेकिन पुरे देश में हो रहे इस नरसंघार का भय सिक्खों के अंदर बरकरार रहा.. इन्ही विपरीत परिस्थितियों में सूर्यदेव सिंह के कदम और बढ़े और धनबाद के तमाम सिक्खों को अपने ठिकानों पर शरण दी और महीनों तक राशन एवं संसाधन उपलब्ध कराया ।


आज भी धनबाद के सभी सिक्ख परिवार स्वर्गीय सूर्यदेव सिंह को याद करतें हैं और सिंह मेन्शन पर सच्ची निष्ठा रखते हैं ।


सच्चा क्षत्रिय सक्षम होने पर सदैव समाज का संरक्षण करते आया है । वह न स्वयं उत्पीड़न करता है और न ही किसी को उत्पीड़न करने की इजाज़त दे सकता है ।


ऐसे ही थे बलिया के ही बाबू साहेब " स्वर्गीय सूर्यदेव सिंह " जी ।


आपकों शत् शत् नमन


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