विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर सभी पत्रकार साथियों व अग्रज महानुभावों को बधाई

*विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर सभी पत्रकार साथियों व अग्रज महानुभावों को बधाई।*


मई का खुशनुमा मौसम और पहला दिन श्रमिक/मजदूर दिवस....तत्पश्चात् आज वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे..... मई के महीने को ना सिर्फ गर्मी के लिये याद किया जाता है अपितु यह माह वैश्विक और हिंदी-पत्रकारिता की दो तारीखों के लिये भी याद किया जाता है। हर साल 3 मई को दुनिया 'प्रेस-फ्रीडम डे' मानती है तो वहीं 30 मई को हम 'हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाते हैं। 
आज मौका है हम अपने बारे व प्रेस के स्वतंत्रता के विषय में चर्चा करें। वैश्विक -पत्रकारिता विसंगतियों से गुजर रही है। संचार तकनीक में क्रांतिकारी बदलाव आया है। सोशल मीडिया ने सबको अपनी बात कहने का मौका दिया है। 
पिछले चार सौ साल में पत्रकारिता और लोकतंत्र का विकास साथ-साथ हुआ है और दोनो ही एक दूसरे के पूरक हैं। बीसवीं सदी के शुरुआती वर्षोँ ने औपनिवेशिक जंजीरों को काटकर एक नई स्वतंत्र दुनिया की रचना की है, जबकि अब सूचना और अभिव्यक्ति पर कार्पोरेट-पूजी का दबाव है। ऐसे में दुनिया के सामने सवाल यह है कि सूचना की पवित्रता को कायम रखने के लिये क्या किया जाये? 


सवाल यह भी है कि जब हम बात प्रेस की स्वतंत्रता की कर रहें हैं तो यह भी सोचने की जरूरत है कि आज प्रेस और पत्रकारों को कितनी स्वतंत्रता प्राप्त है? लगभग 2 वर्ष पहले पत्रकारों की अंतर्राष्टीय संस्था 'रिपोटर्स विदाउट बॉर्डर्स' की रिपोर्ट ने भारतीय पत्रकारों को लेकर सिर्फ दुनिया का ही ध्यान नही खींचा है, बल्कि भारतीय मीडिया संस्थाओं व पत्रकारों के लिये भी चिंता की लकीर खीच दी है। 
बता दूं कि 'रिपोटर्स विदाउट बॉर्डर्स' संस्था हर साल दुनिया के 180 देशों में पत्रकारिता के आजादी का रिपोर्ट तैयार करती है। इस रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में भारत 136 तो 2018 में यह 138वें स्थान पर है। भारत का सूचकांक पिछले कई वर्षों से गिरता ही जा रहा है तो सवाल यह भी है कि विश्व के दूसरे सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में प्रेस और पत्रकारों की यह स्थिति आखिर क्यो है? 
अंत में पत्रकारिता के दौरान प्राप्त एक किताबी ज्ञान से याद आ रहा है कि 'ऐंड्रिव वच्स्स' ने कहा है कि "Journalism is what maintains democracy. It's the force for progressive socail change"


उम्मीद है कि ना सिर्फ हम जैसे पत्रकार बल्कि वरिष्ठ पत्रकार भी इन तथ्यों पर विचार विमर्श करेंगे। साथ ही सत्ता में आसीन रहने वालों दलों व राजनेताओं को भी इसपर चर्चा करने की आवश्यकता है, क्योंकि इसकी मुख्य वजह वह स्वयं हैं।


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*परिवार नियोजन कार्यक्रम में युवा वर्ग को जोड़ें : मंत्री* - प्रवासियों को परिवार नियोजन के साधनों के प्रति करें जागरूक - प्रदेश में मिशन मोड में चलाए जाएंगे परिवार नियोजन के कार्यक्रम *संतकबीरनगर , 28 सितंबर 2020* प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में अब परिवार नियोजन कार्यक्रम को मिशन मोड में चलाने की तैयारी हो रही है। इससे जहां शिशु व मातृ मृत्यु दर में कमी आएगी वहीं घर-घर बेहतर स्वास्थ्य के आयाम मिल सकेंगे । उन्होने विभाग के अधिकारियों को सलाह दी है कि वह प्रदेश के युवा दंपति को परिवार नियोजन कार्यक्रम से जोड़ें। स्वास्थ्य मंत्री विश्व गर्भ निरोधक दिवस के एक दिन पूर्व एक वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। यह वर्चुअल संवाद स्वास्थ्य विभाग की ओर से बिल एंड मिलेंडा गेट्स फाउंडेशन की सहयोगी संस्था ममता एचएमआईएस के सहयोग से आयोजित किया था। स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी लाभार्थियों के लिए गर्भनिरोधक सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए एक सरकारी आदेश जारी किया है। राज्य ने उन सभी प्रवासियों के लिए आजीविका और सामाजिक सुरक्षा का अधिकार भी सुनिश्चित किया है जो कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान इस राज्य में वापस लौटकर आए हैं। फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ता ग्रामीणों के लिए अल्पकालीन गर्भनिरोधक विधियों के संबंध में परिवार नियोजन सेवाएं स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराने के लिए कठिन परिश्रम कर रहे हैं। वहीं आईएएस अधिकारी आलोक कुमार ने कहा कि हमें कोविड-19 की वजह से परिवार नियोजन के फायदों से वंचित नहीं होना चाहिए। बच्चों के जन्म में अंतर रखने की अस्थायी गर्भनिरोधक विधियों पर ध्यान देते हुए सभी प्रणालियों को फिर से सक्रिय करना है। इस वर्चुअल आयोजन को संबोधित करती हुई एनएचएम एमडी अपर्णा उपाध्याय ने बताया कि परिवार नियोजन को मिशन मोड पर लाने के बारे में समझाया। उन्होने बताया कि परिवार नियोजन को मिशन मोड पर लाने के बाद ऊपर से नीचे तक सब मिलकर इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाएंगे। उन्होने बताया कि हमारी एमसीपीआर दर आदर्श रूप से 52% होनी चाहिए। यह लंबे समय से 31% ही है। हमें इसे मिशन मोड में बढ़ाना चाहिए। कुछ जिलों में यह दर ज्यादा है और कुछ जिलों में यह कम है। वहीं डॉ. राकेश दुबे, महानिदेशक, परिवार कल्याण, उत्तर प्रदेश सरकार ने बताया कि कम उम्र के दंपतियों की शादी जल्दी हो जाती है और उन्हें परिवार नियोजन के बारे में ज्यादा नहीं मालूम होता है। इस वजह से सरकार इन कम उम्र के लोगों को समुदाय के अनुकूल विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा लक्षित कर रही है। बीएमजीएफ के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. देवेंद्र खंडैत ने कहा कि परिवार नियोजन विधि को समुदाय तक पहुंचाना अगला महत्वपूर्ण कदम है। परिवार नियोजन और बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भ निरोधक विधि को एक में शामिल करना राज्य की और हमारी साझा प्राथमिकता है। बीएमजीएफ के फेमिली प्लानिंग पॉलिसी की कंट्री लीड मेधा गांधी ने कहा मैं समुदाय के अनुकूल विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से कम उम्र के दंपतियों के लिए परिवार नियोजन में बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भनिरोधक विधि को प्राथमिकता देने में उत्तर प्रदेश में महान नेत़ृत्व को बधाई देती हूँ। पॉप कौंसिल के कंट्री डायरेक्टर डॉ. निरंजन सगुरती कहा कि आजकल जानकारी डिजिटल और सोशल मीडिया पर मिलती है पर लड़कों और लड़कियों के बीच में डिजिटल डिवाइड काफी बड़ा है। ममता एचआईएमसी के इग्ज़ेक्यटिव डायरेक्टर डॉ. सुनील मेहरा ने कहा कि फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को कम उम्र के और कम बच्चों वाले दंपतियों तक पहुँचने का अतिरिक्त प्रयास करने की जरूरत है। इस वर्चुअल कार्यशाला का समापन परिवार नियोजन पर जागरूकता उत्पन्न करने और इसे उपलब्ध कराने, कोविड-19 के बीच में कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) में बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भनिरोधक विधियों पर फोकस करने, कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) के लिए परिवार नियोजन सेवाओं के प्रति सरकार की वचनबद्धता को सुदृढ़ करने और बच्चों के जन्म में अंतर रखने वाली गर्भनिरोधक विधियों का कवरेज करने वाले सूचकों को विकसित करते हुए गुणवत्ता नियंत्रण कार्यप्रणाली को बढ़ाने पर फोकस करने और इसके लिए बजटीय प्रावधान करने का आश्वासन देते हुए किया गया। इस वर्चुअल आयोजन के लिए सभी ने यूपीटीएसयू, सीफार और पीएसआई संस्था को धन्यवाद दिया। *कोविड-19 काल : परिवार नियोजन विधि को प्राथमिकता देना* एक आकलन के अनुसार, उत्तर प्रदेश में चार महिलाओं और लड़कियों में से लगभग एक महिला या लड़की को बच्चे के जन्म में अंतर रखने की विधि की अपूर्ण आवश्यकता है। कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) की आधुनिक 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रखने की गर्भनिरोधक विधि संबंधी मुद्दों पर प्रकाश डाला। *इन मुद्दों पर हुई चर्चा* • परिवार नियोजन, बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भनिरोधक विधियों और नई गर्भनिरोधक विधियों पर जोर देना • प्रदान की जा रही परिवार नियोजन सेवाओं की गुणवत्ता को परिलक्षित करने के लिए मॉनीटरिंग और समीक्षा कार्यप्रणाली • कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) के लिए परिवार नियोजन सेवाओं के बजटीय आवंटन पर फोकस करना
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*विश्व हृदय दिवस पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन* बी.आर.सी बघौली संत कबीर नगर। पूरे विश्व में 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर बी.आर.सी बघौली में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया । कार्यक्रम में उपस्थित अध्यापक एवं अध्यापिकाओं व अन्य स्टाफ एवं संयुक्त जिला चिकित्सालय में कार्यरत एन.सी.डी के कर्मचारियों द्वारा हृदय रोग के संबंध में जागरूक किया गया । कार्यक्रम का शुभारंभ एसीएमओ डॉ मोहन झा द्वारा किया गया । कार्यक्रम में संयुक्त जिला चिकित्सालय में कार्यरत डॉ कुमार सिद्धार्थ परामर्शदाता एवं डॉक्टर तवांगी मणि साइकोलॉजिस्ट द्वारा आए हुए प्रतिभागियों को स्वास्थ्य संबंधी जानकारी दी गई । कार्यक्रम में हरिओम सिंह स्टाफ नर्स , सतीश चंद नर्स, द्वारा विशेष सहयोग प्रदान किया गया। कार्यक्रम का संचालन श्री अमरेंद्र कुमार साइकेट्रिक सोशल वर्कर द्वारा किया गया । इस जागरूकता कार्यक्रम में मानवता सेवा पब्लिक ट्रस्ट एवं कंबाइंड आर्टिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन एन.जी.ओ द्वारा मास्क वितरण का विशेष सहयोग प्रदान किया गया।
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