अभी दूकानदारी से मन नहीं भरा ..

अभी दूकानदारी से मन नहीं भरा ...
प्रकृति उत्पाद बेंच कर मन नहीं भरा ...
मनुष्यता बेंच कर मन नहीं भरा ...
ईमानदारी बेंच कर मन नहीं भरा ...
विलासिता बेंच कर मन नहीं भरा ...
अभी दूकानदारी से मन नही भरा ...
खुदा बेंचकर मन नहीं भरा ...
खुदाई बेंचकर भन नहीं भरा ...
ईशू बेंच कर मन नहीं भरा ...
ईशुवाई बेंच कर मन नही भरा ...
ईश्वर बेंच कर मन नही भरा ...
सत्यता बेंच कर मन नहीं भरा ...
अभी दूकानदारी से मन नहीं भरा ...
कर्म बेंच कर मन नही भरा ...
धर्म बेंच कर मन नहीं भरा ...
ईमान बेंच कर मन नहीं भरा ...
मनुष्य बेंच कर मन नही भरा ...
प्रेम बेंच कर मन नहीं भरा ...
घृणा बेंच कर मन नहीं भरा ...
अभी दूकानदारी से मन नहीं भरा ...
कुर्सी बेंच कर मन नहीं भरा ...
पद बेंच कर मन नही भरा ...
कद बेंच कर मन नहीं भरा ...
गरीब बेंच कर मन नहीं भरा ...
गरीबी बेंच कर मन नहीं भरा ...
आपदा बेंच कर मन नहीं भरा ...
अभी दूकानदारी से मन नहीं भरा ...
जरूरत है रोटी कपड़े एक आशियाने की ...
आवश्कताएं बढ़ाने से मन नहीं भरा ...
जरूरत है प्रेम परिवार स्वच्छ समाज की ...
घृणा तिरस्कार बढ़ाने से मन नहीं भरा ...
जरूरत है प्रकृति के पूर्ण संरक्षण की ...
प्राकृतिक विनाश करने से मन नहीं भरा ...
अभी दूकानदारी से मन नहीं भरा ...
                                जय हिन्द
                               बड़कू चौधरी


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जिलाधिकारी दिव्या मित्तल ने जनपद वासियों से कोविड-19/कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव हेतु शासन-प्रशासन द्वारा जारी दिशा निर्देशों का अनुपालन करने के साथ-साथ सुरक्षात्मक उपायों को अपनाने की अपील की है । जनपद में जिलाधिकारी के रुप में कार्यभार संभालने के बाद जनहित कार्यों के प्रति "संवेदनशील जिलाधिकारी" की पहचान पाने वाली दिव्या मित्तल ने जनपद वासियों से कोरोना संक्रमण से बचने हेतु सही ढंग से मुंह एवं नाक पर मास्क लगाने के बाद ही घर से बाहर निकलने, सोशल डिस्टेंसिंग यानी 2 मीटर की न्यूनतम दूरी बनाते हुए एक दूसरे से मिलने/बातचीत करने, समय-समय पर साबुन से हाथों को धोने तथा आवश्यकतानुसार सेनीटाइजर का प्रयोग करने की अपील की है । जिलाधिकारी ने कहा कि सुरक्षात्मक उपायों को व्यवहार में लाने के प्रति जागरूकता एवं उसका सही उपयोग करना ही कोरोना संक्रमण से बचने का सबसे अच्छा तरीका है ।
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गर्भावस्था में गर्भनाल बच्चों को देता है पोषण -सही पोषण बच्चे के विकास और मां के स्वास्थ्य के लिए जरुरी - सुरक्षा के साथ-साथ मिलता है पोषण देवरिया, 27 सितम्बर। गर्भनाल महिला के ही शरीर का अभिन्न अंग होता है, जो गर्भावस्था के दौरान बच्चे को सुरक्षा और पोषण देने का काम करता है। बच्चा इसी के सहारे मां के गर्भ में जीवित रहता है। गर्भवती इसी नाल के माध्यम से ही अपने बच्चे से जुड़ी होती हैं। सही पोषण बच्चे के विकास और मां के स्वास्थ्य के लिए बेहद जरुरी है। मां का पोषण नितांत आवश्यक है ताकि गर्भनाल के जरिये पेट में पल रहे बच्चे को भी सही पोषण मिल सके। जिला महिला अस्पताल की प्रभारी प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डॉ. अल्पना रानी का कहना है, ‘‘गर्भनाल कई तरीकों से बच्चे के लिए महत्वपूर्ण होती है। बच्चे के कुल वजन का छठा हिस्सा इसी गर्भनाल का होता है। बच्चे के विकास में गर्भनाल अहम भूमिका निभाती है।‘’ सीएमएस ने बताया कि गर्भनाल ही बच्चे के विकास को प्रेरित करती है। इसी की वजह से बच्चा मां के गर्भ में जीवित रहता है। यह सुरक्षा के साथ-साथ पोषण देने का भी काम करती है। यह बच्चे को कई तरह के संक्रमण से सुरक्षित रखने काम करती है। गर्भनाल शरीर में लैक्टोजन के बनने में मदद करती है, जो मां के शरीर में दूध बनने की प्रक्रिया को प्रेरित करता है। गर्भनाल मां और बच्चे को जोड़ने का काम करती है। मां जो कुछ भी खाती है, आहार नाल के माध्यम से उसका पोषण बच्चे को भी मिलता है। गर्भनाल बच्चे के लिए फिल्टर की तरह भी काम करती है। यह उस तक सिर्फ पोषण पहुंचाती है और विषैले पदार्थों को भ्रूण तक नहीं जाने देती। बच्चे के जन्म के कुछ दिनों बाद नाल खुद ही सूखकर गिर जाती है। इसका काम केवल बच्चे को मां के गर्भ में पोषण और विकास के लिए आवश्यक तत्व देने का है। गर्भावस्था में खाने का खास ध्यान गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अपने खाने का खास ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि सही पोषण बच्चे के विकास और मां के स्वास्थ्य दोनों को बनाए रखने के लिए जरूरी है। महिलाओं को ध्यान रखना चाहिए कि गर्भावस्था के दौरान उनके पोषण में विटामिन और मिनरल्स की कमी न हो। इसके साथ ही माता गर्भावस्था में आयरन व फोलिक एसिड से भरपूर भोजन ले, जो कि गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास व बढ़त के लिए जरूरी है। वहीं जन्म से छह माह तक बच्चे के लिए माँ का दूध बच्चे की सभी पोषक तत्वों की आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। अतः छह माह तक शिशु को केवल स्तनपान कराना चाहिए।
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गोरखपुर जिले_के_सभी_बूथों_पर_मनायी_जायेगी #पं_दीनदयाल_उपाध्याय_जी_की_जयन्ती 24 सितंबर 2020 भाजपा गोरखपुर। जिले के सभी माननीय सांसद/विधायक, निगम/बोर्डों के चेयरमैन/उपाध्यक्ष/सदस्य, पार्टी के ब्लाक प्रमुख/जिला पंचायत सदस्य, टाउन-एरिया के चेयरमैन/सभासद, जिले में निवास करने वाले प्रदेश/क्षेत्रीय-पदाधिकारी, सभी जिला-पदाधिकारी/मण्डल अध्यक्ष/प्रभारी, सेक्टर संयोजक/प्रभारी, बूथ अध्यक्ष/प्रभारी/बूथसमिति-पदाधिकारी गण कल दिनांक 25/09/2020 को अपने-अपने निर्धारित बूथ पर #पं_दीनदयाल_उपाध्याय_जी" के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए उनकी जयंती मनाएंगे उक्त बातें भाजपा जिलाध्यक्ष आदरणीय श्री युधिष्ठिर सिंह जी ने उक्त सूचना प्रेषित करते हुए कही।
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*परिवार नियोजन कार्यक्रम में युवा वर्ग को जोड़ें : मंत्री* - प्रवासियों को परिवार नियोजन के साधनों के प्रति करें जागरूक - प्रदेश में मिशन मोड में चलाए जाएंगे परिवार नियोजन के कार्यक्रम *संतकबीरनगर , 28 सितंबर 2020* प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में अब परिवार नियोजन कार्यक्रम को मिशन मोड में चलाने की तैयारी हो रही है। इससे जहां शिशु व मातृ मृत्यु दर में कमी आएगी वहीं घर-घर बेहतर स्वास्थ्य के आयाम मिल सकेंगे । उन्होने विभाग के अधिकारियों को सलाह दी है कि वह प्रदेश के युवा दंपति को परिवार नियोजन कार्यक्रम से जोड़ें। स्वास्थ्य मंत्री विश्व गर्भ निरोधक दिवस के एक दिन पूर्व एक वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। यह वर्चुअल संवाद स्वास्थ्य विभाग की ओर से बिल एंड मिलेंडा गेट्स फाउंडेशन की सहयोगी संस्था ममता एचएमआईएस के सहयोग से आयोजित किया था। स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी लाभार्थियों के लिए गर्भनिरोधक सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए एक सरकारी आदेश जारी किया है। राज्य ने उन सभी प्रवासियों के लिए आजीविका और सामाजिक सुरक्षा का अधिकार भी सुनिश्चित किया है जो कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान इस राज्य में वापस लौटकर आए हैं। फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ता ग्रामीणों के लिए अल्पकालीन गर्भनिरोधक विधियों के संबंध में परिवार नियोजन सेवाएं स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराने के लिए कठिन परिश्रम कर रहे हैं। वहीं आईएएस अधिकारी आलोक कुमार ने कहा कि हमें कोविड-19 की वजह से परिवार नियोजन के फायदों से वंचित नहीं होना चाहिए। बच्चों के जन्म में अंतर रखने की अस्थायी गर्भनिरोधक विधियों पर ध्यान देते हुए सभी प्रणालियों को फिर से सक्रिय करना है। इस वर्चुअल आयोजन को संबोधित करती हुई एनएचएम एमडी अपर्णा उपाध्याय ने बताया कि परिवार नियोजन को मिशन मोड पर लाने के बारे में समझाया। उन्होने बताया कि परिवार नियोजन को मिशन मोड पर लाने के बाद ऊपर से नीचे तक सब मिलकर इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाएंगे। उन्होने बताया कि हमारी एमसीपीआर दर आदर्श रूप से 52% होनी चाहिए। यह लंबे समय से 31% ही है। हमें इसे मिशन मोड में बढ़ाना चाहिए। कुछ जिलों में यह दर ज्यादा है और कुछ जिलों में यह कम है। वहीं डॉ. राकेश दुबे, महानिदेशक, परिवार कल्याण, उत्तर प्रदेश सरकार ने बताया कि कम उम्र के दंपतियों की शादी जल्दी हो जाती है और उन्हें परिवार नियोजन के बारे में ज्यादा नहीं मालूम होता है। इस वजह से सरकार इन कम उम्र के लोगों को समुदाय के अनुकूल विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा लक्षित कर रही है। बीएमजीएफ के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. देवेंद्र खंडैत ने कहा कि परिवार नियोजन विधि को समुदाय तक पहुंचाना अगला महत्वपूर्ण कदम है। परिवार नियोजन और बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भ निरोधक विधि को एक में शामिल करना राज्य की और हमारी साझा प्राथमिकता है। बीएमजीएफ के फेमिली प्लानिंग पॉलिसी की कंट्री लीड मेधा गांधी ने कहा मैं समुदाय के अनुकूल विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से कम उम्र के दंपतियों के लिए परिवार नियोजन में बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भनिरोधक विधि को प्राथमिकता देने में उत्तर प्रदेश में महान नेत़ृत्व को बधाई देती हूँ। पॉप कौंसिल के कंट्री डायरेक्टर डॉ. निरंजन सगुरती कहा कि आजकल जानकारी डिजिटल और सोशल मीडिया पर मिलती है पर लड़कों और लड़कियों के बीच में डिजिटल डिवाइड काफी बड़ा है। ममता एचआईएमसी के इग्ज़ेक्यटिव डायरेक्टर डॉ. सुनील मेहरा ने कहा कि फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को कम उम्र के और कम बच्चों वाले दंपतियों तक पहुँचने का अतिरिक्त प्रयास करने की जरूरत है। इस वर्चुअल कार्यशाला का समापन परिवार नियोजन पर जागरूकता उत्पन्न करने और इसे उपलब्ध कराने, कोविड-19 के बीच में कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) में बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भनिरोधक विधियों पर फोकस करने, कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) के लिए परिवार नियोजन सेवाओं के प्रति सरकार की वचनबद्धता को सुदृढ़ करने और बच्चों के जन्म में अंतर रखने वाली गर्भनिरोधक विधियों का कवरेज करने वाले सूचकों को विकसित करते हुए गुणवत्ता नियंत्रण कार्यप्रणाली को बढ़ाने पर फोकस करने और इसके लिए बजटीय प्रावधान करने का आश्वासन देते हुए किया गया। इस वर्चुअल आयोजन के लिए सभी ने यूपीटीएसयू, सीफार और पीएसआई संस्था को धन्यवाद दिया। *कोविड-19 काल : परिवार नियोजन विधि को प्राथमिकता देना* एक आकलन के अनुसार, उत्तर प्रदेश में चार महिलाओं और लड़कियों में से लगभग एक महिला या लड़की को बच्चे के जन्म में अंतर रखने की विधि की अपूर्ण आवश्यकता है। कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) की आधुनिक 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रखने की गर्भनिरोधक विधि संबंधी मुद्दों पर प्रकाश डाला। *इन मुद्दों पर हुई चर्चा* • परिवार नियोजन, बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भनिरोधक विधियों और नई गर्भनिरोधक विधियों पर जोर देना • प्रदान की जा रही परिवार नियोजन सेवाओं की गुणवत्ता को परिलक्षित करने के लिए मॉनीटरिंग और समीक्षा कार्यप्रणाली • कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) के लिए परिवार नियोजन सेवाओं के बजटीय आवंटन पर फोकस करना
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