योगी के CM बनने के बाद एक स्टोरी के सिलसिले में उत्तराखंड में उनके पैतृक गांव जाना हुआ. उनका गांव पहाड़ी सड़क से सटकर नीचे बसा है.
कुछ सीढ़ियां उतरकर खेत आते हैं फिर गांव शुरू होता है. वहीं एक खेत में एक महिला काम कर रह थी.
मैंने उनसे पूछा कि योगी आदित्यनाथ के घर जाना है, उस महिला ने कहा- मैं ही आपको लिए चलती हूं. बाद में पता चला वो योगी आदित्यनाथ के भाई की पत्नी हैं.
पुराने घर के बाहर दीवारों पर काई जमी थी. एक सुंदर बछड़ा दरवाज़े पर सुस्ता रहा था. अंदर बैठी योगी आदित्यनाथ की मां कुछ सुखा रहीं थी. पिता आनंद सिंह बिष्ट एक कुर्सी पर बैठे थे.
उम्र के उस पड़ाव पर भी आनंद सिंह बिष्ट खासे सक्रिय थे. एक डिग्री कॉलेज तो वो गांव के पास चला ही रहे थे इसके अलावा भी वो सामाजिक और राजनीतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेते रहे थे.
दो दिन तक उनसे और उनकी पत्नी से लंबी बातचीत हुई. उन्होंने गाव के जीवन पर कई बार सुकून ज़ाहिर किया.
जब भी मुख्यमंत्री बेटे का नाम आया चेहरे पर गर्व के भाव दिखे. हालांकि बात-बात में वो ये भी याद दिलाते कि आदित्यनाथ अब बस उनके बेटे नहीं हैं.
मैंने उनसे पूछा कि बेटे से आख़िरी बार तसल्ली से कब मुलाक़ात हुई थी और उन्होंने कहा- याद नहीं.
आनंद सिंह बिष्ट अब इस दुनिया में नहीं हैं. और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनके अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने भी नहीं जा पाए हैं.
- BBC हिंदी के एक पत्रकार का लेख!