सेवाभाव # एएलएस एम्बुलेंस सेवा ने बचाई 1.83 लाख की जान*  जान बची तो लाखों पाए - डॉ. ए.के सिन्हा

*एएलएस एम्बुलेंस सेवा ने बचाई 1.83 लाख की जान* 


सेवाभाव


• सीएम योगी आदित्यनाथ ने की थी 14 अप्रैल 2017 को ए0एल0एस0 सेवा की शुरुआत
• कोरोना महामारी के समय वरदान साबित हो रही ए0एल0एस0 एम्बुलेंस सेवा


*संतकबीरनगर, 17 अप्रैल 2020 ।*


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘एडवांस लाइफ सपोर्ट (ए0एल0एस0) एम्बुलेंस सेवा’ ने उत्तर प्रदेश में अपने संचालन के 3 वर्ष पूरे कर लिए हैं। अपने इस सफर में एएलएस सेवा ने प्रदेश के 183484 से अधिक अतिगंभीर मरीजों की जान बचाई है। कोरोना महामारी के समय भी एएलएस सेवा अति गंभीर मरीजों की जान बचाने में वरदान साबित हो रही है।
एम्बुलेंस सेवा के जिला नोडल अधिकारी डाॅ ए के सिन्‍हा ने बताया कि जनपद में हमारे पास कुल 48 एम्बुलेंस हैं। इसमें से 4 एएलएस हैं। वहीं उत्तर प्रदेश में एम्बुलेंस सेवा प्रदाता संस्था जीवीके ईएमआरआई के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट राजेश वाघमारे ने बताया कि प्रदेश में 108 एम्बुलेंस और 102 एम्बुलेंस सेवा पहले से चल रही थी। लेकिन बहुत बड़ी संख्या में मरीजों को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाने या एक अस्पताल से दूसरे उच्च अस्पताल ले जाने के लिए वेंटीलेटर, डिफिब्रिलेटर व अन्य एडवांस जीवनरक्षक उपकरणों की आवश्यक्ता होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए वर्तमान प्रदेश सरकार ने 14 अप्रैल 2017 को प्रदेश में इस महत्वाकांक्षी योजना की शुरूआत की थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं हरी झंडी दिखाकर 150 एम्बुलेंस के साथ ए0एल0एस0 सेवा का शुभारम्भ किया था। जिसके बाद जरूरत को देखते हुए 2019 में ए0एल0एस0 सेवा में 100 और एम्बुलेंस बढ़ाई गई। वर्तमान में इस सेवा के तहत प्रदेश में कुल 250 ए0एल0एस0 एम्बुलेंस संचालित की जा रही हैं़। हर जिले में न्यूनतम दो ए0एल0एस0 एम्बुलेंस हैं, जबकि अधिक आबादी वाले जिलों में इनकी संख्या अधिक भी है। इस सेवा का संचालन शुरू होने से 31 मार्च 2020 तक प्रदेश में लाभार्थियों का आंकड़ा 183484 से अधिक पहुंच चुका है। इनमें सड़क दुर्घटना (वाहन सम्बंधी) के 35109, हार्ट अटैक या कार्डियोवैस्क्युलर के 19264, सांस रोगों से सम्बंधित 21400, प्रसव से सम्बंधित 15651, बेहोशी के 5941, एक माह तक के बच्चों के 12910, मारपीट के 4876, आकस्मिक विषाक्तता के 4275 और अन्य आपातकालीन स्थितियों के 64058 मामले शामिल हैं। उन्होंने बताया कि जीवीके ईएमआरआई संस्था उत्तर प्रदेश में 102 एम्बुलेंस सेवा और 108 एम्बुलेंस सेवा का भी संचालन कर रही है।


*कोरोना से संबंधित 950 मरीजों को पहुंचाया अस्पताल*


कोरोना महामारी के समय ए0एल0एस0 एम्बुलेंस सेवा वरदान साबित हो रही है। राजेश वाघमारे के अनुसार गंभीर मरीज जो कोरोना से ग्रसित हैं या संदिग्ध मरीज हैं उनके लिए प्रदेश में अब तक 129 ए0एल0एस0 आरक्षित की गई हैं। जिनसे अब तक 950 से अधिक संदिग्ध या पाॅजिटिव मरीजों को अस्पताल ले जाया गया है।


*ये है सुविधा*


एएलएस (एडवान्स्ड लाइफ सपोर्ट) सेवा की एम्बुलेंस सभी जीवनरक्षक उपकरणों से सुसज्जित है। इमजरेंसी के समय आवश्यक दवाओं सहित वेंटीलेटर, डिफिब्रिलेटर सहित अन्य उपकरणों की भी सुविधा है। मरीज को कोई दिक्कत होने पर एम्बुलेंस में मौजूद ईएमटी मरीज को ऑक्सीजन देने के साथ ही काॅल सेंटर में बैठे डॉक्टर से संपर्क कर डॉक्टर के निर्देश पर मरीज को आवश्यक दवाएं भी देता है। गोल्डन आवर में सपोर्ट मिलने से बहुत से गंभीर रोगियों की जान बचाई जा रही है।


*इन मामलों में मिलती है सुविधा*


गंभीर सड़क दुर्घटना या हेड इंजरी, हार्ट अटैक, सांस लेने में तकलीफ, नवजात बच्चों से जुड़े गंभीर मामले, बर्न, जटिल प्रसव सहित अन्य प्रकार की किसी भी आपात कालीन समय में ए0एल0एस0 सेवा का लाभ ले सकते हैं। अतिगंभीर मरीजों को घर से अस्पताल ले जाने के लिए और एक अस्पताल से दूसरे उच्च श्रेणी के अस्पताल ले जाने के लिए ए0एल0एस0 एम्बुलेंस सेवा 24 घंटे उपलब्ध है। ए0एल0एस0 सुविधा पाने के लिए 108 सेवा में काल करें। आवश्यक्ता होने पर सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। आवश्यक्ता पड़ने पर ए0एल0एस0 एम्बुलेंस मरीजों को दिल्ली एम्स, पीजीआई चंडीगढ़ भी मरीजों को ले जाती है।


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बताया कि कम उम्र के दंपतियों की शादी जल्दी हो जाती है और उन्हें परिवार नियोजन के बारे में ज्यादा नहीं मालूम होता है। इस वजह से सरकार इन कम उम्र के लोगों को समुदाय के अनुकूल विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा लक्षित कर रही है। बीएमजीएफ के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. देवेंद्र खंडैत ने कहा कि परिवार नियोजन विधि को समुदाय तक पहुंचाना अगला महत्वपूर्ण कदम है। परिवार नियोजन और बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भ निरोधक विधि को एक में शामिल करना राज्य की और हमारी साझा प्राथमिकता है। बीएमजीएफ के फेमिली प्लानिंग पॉलिसी की कंट्री लीड मेधा गांधी ने कहा मैं समुदाय के अनुकूल विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से कम उम्र के दंपतियों के लिए परिवार नियोजन में बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भनिरोधक विधि को प्राथमिकता देने में उत्तर प्रदेश में महान नेत़ृत्व को बधाई देती हूँ। पॉप कौंसिल के कंट्री डायरेक्टर डॉ. निरंजन सगुरती कहा कि आजकल जानकारी डिजिटल और सोशल मीडिया पर मिलती है पर लड़कों और लड़कियों के बीच में डिजिटल डिवाइड काफी बड़ा है। ममता एचआईएमसी के इग्ज़ेक्यटिव डायरेक्टर डॉ. सुनील मेहरा ने कहा कि फ्रंटलाइन 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गर्भ निरोधक प्रसार दर सिर्फ 13% है। ये वे महिलाएँ हैं जो बच्चों के जन्म में अंतर रखना चाहती हैं लेकिन गर्भनिरोधक की आधुनिक विधि का इस्तेमाल नहीं कर रही हैं। इसके कई कारण हैं, जैसे- स्वास्थ्य कार्यकर्ता की कम पहुँच, परिवार नियोजन पर आपस में बातचीत की कमी, आदि। ये इन गर्भनिरोधक विधियों तक कम उम्र के लोगों की पहुँच में मुख्य बाधक हैं। वर्तमान कोविड-19 वैश्विक महामारी के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार ने हमेशा अपनी वचनबद्धता दोहराई है और कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) के बच्चे पैदा करने की योजना बनाने के लिए नए और सुरक्षित गर्भनिरोधक अंतर विकल्प प्रदान किये हैं तथा परिवार नियोजन उत्पादों के वितरण और परामर्श सेवाएँ प्रदान करने के लिए आवश्यक सेवाओं एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को बढ़ाया है। *जिले के स्वास्थ्य अधिकारी भी हुये शामिल* इस वर्चुअल कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग के कई मुख्य राज्य अधिकारी और सीएमओ समेत जिला के अधिकारी एवं स्वास्थ्य के मुद्दों पर कार्यरत विभिन्न सिविल सोसायटी के प्रतिनिधि भी शामिल हुए और कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) में बच्चों के जन्म में अंतर 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