मण्डलायुक्त व पुलिस उप महानिरीक्षक परिक्षेत्र गोरखपुर द्वारा कोरोना वायरस संक्रमण के लिए बनाए गए आईसोलेशन लेवल-1 हॉस्पिटल व बिहार बार्डर का निरीक्षण किया ।

जिला संवाददाता पुष्कर मणि त्रिपाठी


मण्डलायुक्त व पुलिस उप महानिरीक्षक परिक्षेत्र गोरखपुर द्वारा कोरोना वायरस संक्रमण के दृष्टिगत सेंट्रल एकाडेमी में  बनाए गए आईसोलेशन लेवल-1 हॉस्पिटल व बिहार बार्डर का निरीक्षण किया ।
 देवरिया।मंडलायुक्त गोरखपुर जयंत नार्लिकर द्वारा डी0आई0जी0राजेश नोदक के साथ सेंट्रल एकाडेमी में कोविड-19 के आकस्मिकता के दृष्टिगत बनाए गए एल-1 समकक्ष 100 शैया हॉस्पिटल का निरीक्षण किया। उनके द्वारा इस विद्यालय व पूरे परिसर को पूर्ण रूप से सैनिटाइज करने के साथ ही सभी आवश्यक व्यवस्थाओं व सुविधाओं को पूर्व में ही सुनिश्चित कर लिए जाने तथा कार्य प्लान बनाकर कार्य किए जाने का निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिया गया । उनके द्वारा बनाए गए एक- एक कक्ष के वार्डो को देखा गया  तथा चिकित्सक के बैठने के कक्ष को वार्डो से दूर रखने को कहा। उन्होंने इस आरक्षित हॉस्पिटल/ परिसर में नियमित साफ-सफाई कराए जाने को कहा। इसके अतिरिक्त मण्डलायुक्त व पुलिस उप महानिरीक्षक परिक्षेत्र गोरखपुर द्वारा जनपद देवरिया में थाना लार क्षेत्रान्तर्गत बिहार बार्डर स्थित मेहरौना चेक पोस्ट का निरीक्षण कर बिहार प्रान्त के जनपद सिवान में कोरोना वायरस संक्रमण के आये मामलों के दृष्टिगत बिहार बॉर्डर इलाकों के गावों की सीमाओ को पूरी तरह से सील कर आवश्यक बचाव हेतु जागरुक करने एवं लोगो को लॉकडाउन का पालन कराने व आवश्यक सामग्री ले जाने वालो वाहनों के चालको व परिचालकों का स्क्रीनिंग कराये जाने हेतु निर्देशित किया गया।
    निरीक्षण के समय जिलाधिकारी अमित किशोर, पुलिस अधीक्षक डॉ श्रीपति मिश्र व अन्य पुलिस प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे।


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अधिकार भी सुनिश्चित किया है जो कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान इस राज्य में वापस लौटकर आए हैं। फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ता ग्रामीणों के लिए अल्पकालीन गर्भनिरोधक विधियों के संबंध में परिवार नियोजन सेवाएं स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराने के लिए कठिन परिश्रम कर रहे हैं। वहीं आईएएस अधिकारी आलोक कुमार ने कहा कि हमें कोविड-19 की वजह से परिवार नियोजन के फायदों से वंचित नहीं होना चाहिए। बच्चों के जन्म में अंतर रखने की अस्थायी गर्भनिरोधक विधियों पर ध्यान देते हुए सभी प्रणालियों को फिर से सक्रिय करना है। इस वर्चुअल आयोजन को संबोधित करती हुई एनएचएम एमडी अपर्णा उपाध्याय ने बताया कि परिवार नियोजन को मिशन मोड पर लाने के बारे में समझाया। उन्होने बताया कि परिवार नियोजन को मिशन मोड पर लाने के बाद ऊपर से नीचे तक सब मिलकर इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाएंगे। उन्होने बताया कि हमारी एमसीपीआर दर आदर्श रूप से 52% होनी चाहिए। यह लंबे समय से 31% ही है। हमें इसे मिशन मोड में बढ़ाना चाहिए। कुछ जिलों में यह दर ज्यादा है और कुछ जिलों में यह कम है। वहीं डॉ. राकेश दुबे, महानिदेशक, परिवार कल्याण, उत्तर प्रदेश सरकार ने बताया कि कम उम्र के दंपतियों की शादी जल्दी हो जाती है और उन्हें परिवार नियोजन के बारे में ज्यादा नहीं मालूम होता है। इस वजह से सरकार इन कम उम्र के लोगों को समुदाय के अनुकूल विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा लक्षित कर रही है। बीएमजीएफ के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. देवेंद्र खंडैत ने कहा कि परिवार नियोजन विधि को समुदाय तक पहुंचाना अगला महत्वपूर्ण कदम है। परिवार नियोजन और बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भ निरोधक विधि को एक में शामिल करना राज्य की और हमारी साझा प्राथमिकता है। बीएमजीएफ के फेमिली प्लानिंग पॉलिसी की कंट्री लीड मेधा गांधी ने कहा मैं समुदाय के अनुकूल विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से कम उम्र के दंपतियों के लिए परिवार नियोजन में बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भनिरोधक विधि को प्राथमिकता देने में उत्तर प्रदेश में महान नेत़ृत्व को बधाई देती हूँ। पॉप कौंसिल के कंट्री डायरेक्टर डॉ. निरंजन सगुरती कहा कि आजकल जानकारी डिजिटल और सोशल मीडिया पर मिलती है पर लड़कों और लड़कियों के बीच में डिजिटल डिवाइड काफी बड़ा है। ममता एचआईएमसी के इग्ज़ेक्यटिव डायरेक्टर डॉ. सुनील मेहरा ने कहा कि फ्रंटलाइन 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