जानिए गोरखपुर बुढ़िया मांई मंदिर क्यों प्रसिद्ध है

*जानिए गोरखपुर बुढ़िया मांई मंदिर क्यों प्रसिद्ध है*
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✍️गोरखपुर से पी.के. सिंह की विशेष रिपोर्ट
*मान्यता है कि मंदिर में जो भी सच्चे मन से मन्नत मांगता है उसकी मनोकामना माता बुढ़िया जरूर पूरी करती हैं*


👉लाेगों का कहना है कि‍ बुढ़ि‍या माई की कृपा से तरक्‍की और खुशहाली मि‍लती है।


गोरखपुर. शहर से 15 कि‍मी दूर गोरखपुर-कुशीनगर NH के पास कुस्मही जंगल है। इसके ठीक बीचोंबीच माता बुढ़िया का फेमस मंदिर है। ऐसी मान्‍यता है कि‍ बुढ़िया माई को नाच नहीं दिखाने पर एक बैलगाड़ी पर सवार पूरी बरात यहां के तूरा नदी में समा गई थी। इस घटना में सि‍र्फ जोकर ही बचा था। देवी महि‍मा के कारण यहां सालोंभर बड़ी संख्‍या में श्रद्धालु आते हैं।
-मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह एक चमत्कारी वृद्ध महिला के सम्मान में बनाया गया है।
-कुछ लोगों का कहना है कि पहले यहां थारु जाति के लोग रहते थे।
-वे जंगल में तीन पिंड बनाकर वनदेवी के रूप में पूजा करते थे।
-थारुओं को अक्सर इस पिंड के आसपास सफेद कपड़े में एक बूढ़ी महिला दिखाई देती थी।
-वह बुढ़ि‍या माई के रूप में फेमस हुईं।
-मान्यता है कि मंदिर में जो भी सच्चे मन से मन्नत मांगता है उसकी मनोकामना माता बुढ़िया जरूर पूरी करती हैं। बुढ़िया माई से जुड़ी हैं दो कहानि‍यां


-पहली कहानी के अनुसार 600 साल पहले गोरखपुर से कुशीनगर की ओर जाने के लि‍ए पक्‍की सड़क नहीं बनी थी।
-इसलि‍ए शार्टकट के लि‍ए लोग कुस्मही जंगल के बीच से होकर गुजरने वाले तुर्रा नाले पर बने लकड़ी का पुल पार कर आते-जाते थे।
-एक दि‍न यहां से एक बैलगाड़ी पर बरात जा रही थी।
-पुल पर बैठी बुढ़िया माई ने बैलगाड़ी पर सवार पार्टी को डांस दिखाने के लिए कहा।
-सभी ने कहा कि‍ बरात लेट हो रही है। वे लोग बि‍ना रुके बुढ़ि‍या माई को अनसुना कर चले गए।
-इस दौरान सिर्फ जोकर ने बांसुरी बजाई।
-दूसरे दिन सुबह बरात लौट रही थी।
-पुल के एक छोर पर पहले से बुढ़ि‍या माई बैठी थी।
-उन्‍होंने बरात में मौजूद डांसरों से डांस दिखाने को कहा।
-जोकर बैलगाड़ी से उतारकर डांस दिखाने लगा।
-उसके अलावा सभी बराती और डांसर बैलगाड़ी से नहीं उतरे। वे बुढ़िया माई की हंसी उड़ाने लगे।
-बैलगाड़ी पुल से गुजरने लगी। नदी के बीच पहुंचते ही पुल अचानक टूट गया।
इस हादसे में दूल्हे सहित सभी बराती तूरानाला में डूबकर मर गएl


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