हंसते हंसते रोना सीखो, रोते रोते हंसना, जितनी चाबी भरी राम ने उतना चले खिलौना, संभल गए तो कुछ नहीं होगा, वापस होगा क़ोरोना--सदर विधायक जय चौबे

पी.के .सिंह - विशेष संवाददाता # हंसते हंसते रोना सीखो, रोते रोते हंसना, जितनी चाबी भरी राम ने उतना चले खिलौना, संभल गए तो कुछ नहीं होगा, वापस होगा क़ोरोना--सदर विधायक जय चौबे


संतकबीरनगर। लॉक डाउन मैं फंसे हुए प्रवासियों जो अलग-अलग शहरों से आए हुए हैं जो कोरनटाइम सेंटर में रखे गए प्रवासियों को संतकबीरनगर के सदर विधायक दिग्विजयनारायण उर्फ जय चौबे ने लोगों को जरूरत के सामान साबुन, सैनिटाइजर, फल,व खाने पीने की सामग्री सहित उचित व्यवस्था भिन्न-भिन्न ग्राम सभा के प्राथमिक विद्यालय में जा जा कर के सदर विधायक जय चौबे ने लोगों से करोना जैसे महामारी से निपटने के लिए अपील की लोगों को यह भी सुझाव दिए की एक दूसरे से दूरी बनाकर के रहे तभी हमको कोरोना जैसे महामारी से लड़ाई लड़ सकते हैं हम सुरक्षित रहे हमारा परिवार सुरक्षित रहे हमारा देश सुरक्षित रहे ऐसा आश्वासन देते हुए हाथ जोड़कर के आम जनमानस से सदर विधायक जय चौबे ने अपील की सरकार के लाकडाउन के नियमों का पालन करने के लिए अपील किए। ग्राम सभा नगवा के पूर्व प्रधान राम अशीष उपाध्याय, सेमरियावां ब्लाक प्रमुख मुमताज अहमद अवधेश सिंह विधायक प्रतिनिधि बड़गो ग्राम सभा के प्रधान कल्लू सिंह में सदर विधायक जय चौबे गरीबों के मसीहा करोना जैसी महामारी मे भी चल कर लोगों के बीच सुख दुख में सहभागिता लेने का कार्य करते आ रहे हैं।
लाकङाऊन को लागू हुये  एक हफ्ते से उपर गुजर गये है कुछ समझे तो सुधर गये जो नही समझे वे ङर गये!वास्तविकता के धरातल पर जिन्दगी खौफ के साये में गुजर रही है। हर तरफ कोहराम मचा है जिधर देखिये तुफान उठा है! हर कोई सशंकित हैआतंकित है। दुनियाँ  अजीब दौर से गुजर रही है। करोना के कारनामो को सुनकर आत्मा सिहर रही है।इटली तबाह, अमेरिका तबाह, चाईना ने सारी दुनियाँ को मौत का दिखा दिया आईना! दुनियाँ के लगभग दो सौ देश इस भयानक परिवेश के शिकार है। लेकीन धिक्कार उन लोगों को जो इस देश के समरसता मे बिषमता के बिष को  जाहिलियत का जामा पहनाकर फैला रहे है।इस महामारी को भी  खुदा की नेमत बता रहे है। कुछ तर्क शील लोग आज भी लकीर के फकीर बनकर इस देश के वजीर की बात को नकार रहे है! अपनी ढपली अपनी राग अलाप रहे है। बर्तमान बिषम हालात का सामना कर रहा है। आने वाला कल इन्सानी जिन्दगी के लिये हलाहल लिये चला आ रहा है।तबाही सामने से आती दिख रही है। तब शुतूर मूर्ग के तरह कुछ जाहील लोग बालू में सीर घुसाकर जिन्दगी की सलामती की बात कर रहे है। इस देश की ब्यवस्था में अब्वस्था फैलाकर आस्था का परचम बुलन्द कर रहे है।जिसका जमकर बिरोध उसी कौम के अक्लमन्द कर रहे है।जगह जगह स्वास्थ्य कर्मियो के साथ बवाल ! अब सवाल पैदा कर रहा है! क्या ऐसे लोगों को उन्हीं के राह पर छोङ देना चाहीये ?या फीर कानून से उनके जनून की भरपूर दवा कर हवा में हाथ उठाने को मजबूर कर देना चाहीये! जिस तरह देश के हालात को बिगाङने की कोशिश हो रही है वह इस महामारी के मुहीम मे कहीं से भी उचित नही है। मौत, महामारी,  बिमारी, जाति बिरादरी ,धर्म कर्म पूछ कर नही आती। दुनियाँ  में जलजला आ चुका है हिन्दुस्तान भी हिल रहा है। सम्हलने की लगातार कोशिश जारी है,तब भी  नही रूक रही महामारी है! लगातार तेजी से फैल रही बिमारी है! सरकार हमारी हैजिसमें समुदाय विशेष के लोग चिकित्सा कर्मियों के साथ मारपीट कर रहे है। मध्यप्रदेश के इंदौर से लेकर यूपी के मुजफ्फरपुर तथा बिहार के मुंगेर के साथ दिल्ली के निजामुद्दीन तक की घटनाएं बताती है कि जो डॉक्टर और चिकित्सा कर्मी कोरोना वायरस के प्रकोप में अपनी जान जोखिम में डाल कर मदद के लिए पहुंचे हैं।उन्हें ही मारा पीटा जा रहा है। जब कोरोना वायरस की वजह से देश और दुनिया में हजारों लोग मर रहे हैं। तब हमारे चिकित्साकर्मी लोगों को बचाने के लिए घर घर घूम रहे हैं। अब यदि चिकित्सा कर्मियों के साथ इस तरह मारपीट की जाती है तो सवाल उठता है कि क्या! समुदाय विशेष के लोगों को यूं ही छोड़ दिया जाए? हालांकि लोकतांत्रिक व्यवस्था में ऐसा करना संभव नहीं है!, लेकिन सवाल यह भी है कि कोई सरकार अपने चिकित्सा कर्मियों को कब तक ऐसी परिस्थितियों में काम करवा सकती है। समुदाय विशेष के लोगों की अपनी धार्मिक मान्यताएं और परंपराएं हो सकती है,! लेकिन ऐसी आस्था से यदि समाज के दूसरे वर्ग के लोगों की जान को खतरा हो तो फिर कार्यवाही तो करनी ही पड़ेगी? सब जानते हैं कि 30 मार्च से पहले तक दुनियाँ के देशों के मुकाबले भारत में कोरोना पॉजिटिव संख्या बहुत कम थी?, लेकिन दिल्ली में निजामुद्दीन मरकज का मामला सामने आते ही सैकड़ों लोग कोरोना पॉजिटिव हो गए! मरकज में भाग लेने के बाद तबलीगी जमात के प्रतिनिधि देश के 22 राज्यों में भी पहुंच गए। हालात अब बेहद खराब हो रहे हैं। सवाल उठता है कि क्या ऐसे संक्रमित लोगों की जान नहीं बचाई जाए? यदि जमात का कोई प्रतिनिधि चिकित्सा के अभाव में मर गया तो किसकी जिम्मेदारी होगी! सवाल यह भी है कि चिकित्सा कर्मी का क्या दोष है?। उन्हें पत्थर मार कर क्यों भगाया जा रहा है? ऐसे में यदि चिकित्सा कर्मियों ने काम बंद कर दिया तब क्या होगा? एक चिकित्सा, सफाई, पुलिस आदि विभाग के मुस्तैद कर्मिकों का अभिनंदन हो रहा है? तो कुछ लोग ऐसे कर्मियों के साथ मारपीट कर रहे हैं। कल्पना कीजिए की यदि सफाई कर्मियों ने कोरोना के प्रकोप में काम बंद कर दिया तो देश के हालात कैसे होंगे? सवाल उठता है कि आखिर कुछ लोग देश को नुकसान पहुंचाने वाला काम क्यों कर रहे हैं। तबलीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद ने 2 अप्रैल को यूट्यूब पर एक ऑडियो पोस्ट किया है। ऑडियो में मौलाना ने कहा कि कोरोना के प्रकोप के मद्देनजर लोगों को सरकार के दिशा निर्देशों का पालन करना चाहिए। इन दिनों वे स्वयं भी डॉक्टरों की सलाह पर क्वारंटीन में हैं ।और लोगों को भी डॉक्टरों की सलाह माननी चाहिए। मौलाना साद के ताजा ऑडियों को अब सकारात्मक नजरिए से देखा जा रहा है,! क्योंकि पूर्व में जारी ऑडियों में मौलाना साद ने कोरोना को मुसलमानों के प्रति एक साजिश बताया था। मौलाना ने मुसलमानों से मस्जिद में आकर रोजाना नमाज पढऩे की बात कही थी। मौलाना का यह भी कहना रहा कि अल्लाह के नाम से किसी की भी सेहत खराब नहीं होगी। मालूम हो कि तबलीगी जमात का अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय दिल्ली के निजामुद्दीन में है और यही पर गत जनवरी से लगातार बैठकें हो रही थीं। 30 मार्च को पुलिस ने कार्यवाही कर करीब ढाई हजार जमातियों को बाहर निकाला। तबलीगी जमात का मुसलमानों में जबर्दस्त प्रभाव है।
आज तबलिगी  जमात के लोग देश के सैकङो जनपदों मे पहुँच चुके है।सरकारी फरमान सख्त हो गया है। सबकी खोज खबर हो रही है सबकी सेहत को लेकर सवाल टेढा हो गया है। अगर तबलिगी जमात में एक भी कोरोना पाजटीव था तो यह निश्चित है उस जमामत में सैकङो लोग चपेट में होंगे समय से इलाज नहीं हुआ तो हालात बेकाबू हो जायेगे? ऐसा नही कि कीसी को अपना जान प्यारा नहीं है?हर कोई अपना अपने परिवार की सलामती चाहता है। लेकीन कुछ  लोगो को बर्बादी का मन्जर देखना ही पशन्द है। समय रहते नहीं सम्हले तो बात वही होगी हम तो ङूबे है सनम तुमको भी ले ङूबेगे? देश आप का है इसके परिवेश को सुरक्षित रखना भी जिम्मेदारी  आप की है। चिकित्सा कर्मियो पर भरोशा करें !उनको ऊनका काम करने दे! जो खूद अपनी जान जोखिम मे ङालकर आप की सुरक्षा में लगा है उस पर भी हमला कहाँ की बुद्धिमानी है? मजहब नही सिखाता आपस मे बैर करना? जरा सोचिये जिस दिन ङाक्टर हङताल पर चले गये उस दिन क्या होगा? सरकार को माहौल खराब करने वालोँ पर कङी कार्यवाही करनी ही चाहीये!ताकी इस खतरनाक बिमारी को इस देश में महामारी बनने से रोका जा सके।


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