विज्ञान से वैज्ञानिक प्रतिभा का विकास होगा जिलाधिकारी अमित किशोर

जिला संवाददाता पुष्कर मणि त्रिपाठी की रिपोर्ट
तीन दिवसीय  विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन



 देवरिया महोत्सव के अंतर्गत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद उत्तर प्रदेश शासन तथा जिला विज्ञान को देवरिया के तत्वाधान में तीन दिवसीय विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन चीनी मिल ग्राउंड पर किया गया, जिसका शुभारंभ जिलाधिकारी अमित किशोर ने फीता काटने के साथ किया। इस प्रदर्शनी में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के नव विकसित तकनीकों पर आधारित मॉडलों का प्रदर्शन परिषदीय व माध्यमिक विद्यालयों के बच्चों ने किया ।    
        प्रदर्शनी के दौरान बच्चों ने मिनी नक्षत्र शाला के माध्यम से खगोलीय घटनाओं के बारे में जानकारी ली तथा टेलिस्कोप के माध्यम से आकाश दर्शन भी किया ।  इसके साथ ही आईआईटी कानपुर द्वारा तैयार की गई साइंस बस मैं बच्चों ने वैज्ञानिक प्रयोगों की जानकारी हासिल की ।  कार्यक्रम के दौरान कठपुतली के माध्यम से स्वास्थ्य स्वच्छता और कुपोषण पर नाटक का प्रदर्शन किया गया, साथ ही अंधविश्वासों को दूर करने हेतु वैज्ञानिक जानकारी दी गई । गैर जनपद से आए विशेषज्ञों ने शरीर में आग लगना जीभ में चाकू घोंप ना नारियल से फूल निकालना दूध का ज्वालामुखी की तरह फटना आदि चमत्कारों को वैज्ञानिक तरीके से समझाया । विधायक रामपुर कारखाना के प्रतिनिधि डॉक्टर संजीव शुक्ला के साथ डीएम अमित किशोर ,सीडीओ शिवशरणप्पा जीएन तथा बीएसए प्रकाश नारायण श्रीवास्तव ने बच्चों द्वारा बनाए वैज्ञानिक मॉडलों का निरीक्षण किया । शाला गोरखपुर के वैज्ञानिक अधिकारी महादेव पांडेय ने अतिथियों का स्वागत किया । विशेषज्ञ पैनल ने मॉडलों का मूल्यांकन किया । इस दौरान कार्यक्रम समन्वयक विजय श्रीवास्तव, जिला स्काउट मास्टर संजय मिश्रा, जय शिव प्रताप चंद, विनय कुमार द्विवेदी, अनुज श्रीवास्तव, बृजेश कुमार राय, आशुतोष नाथ त्रिपाठी ,आशीष शुक्ला , सुनीता सिंह, धीमांशु सिंह, विनय कुमार यादव, कमरुज्जमा खान, चंद्र भूषण सिंह, मंटू मिश्रा, सुमेधा सिंह मौजूद रहे ।


 


’विज्ञान प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता विज्ञान क्विज कल’


नक्षत्र शाला गोरखपुर के क्षेत्रीय वैज्ञानिक अधिकारी महादेव पांडेय ने बताया कि विज्ञान क्विज   विज्ञान प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन 10.30 बजे से टाउन हॉल के ऑडिटोरियम हॉल में किया गया है । प्रतियोगिता में परिषदीय तथा माध्यमिक विद्यालयों के छात्रों का मूल्यांकन पैनल अलग-अलग होगा ।


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अधिकार भी सुनिश्चित किया है जो कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान इस राज्य में वापस लौटकर आए हैं। फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ता ग्रामीणों के लिए अल्पकालीन गर्भनिरोधक विधियों के संबंध में परिवार नियोजन सेवाएं स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराने के लिए कठिन परिश्रम कर रहे हैं। वहीं आईएएस अधिकारी आलोक कुमार ने कहा कि हमें कोविड-19 की वजह से परिवार नियोजन के फायदों से वंचित नहीं होना चाहिए। बच्चों के जन्म में अंतर रखने की अस्थायी गर्भनिरोधक विधियों पर ध्यान देते हुए सभी प्रणालियों को फिर से सक्रिय करना है। इस वर्चुअल आयोजन को संबोधित करती हुई एनएचएम एमडी अपर्णा उपाध्याय ने बताया कि परिवार नियोजन को मिशन मोड पर लाने के बारे में समझाया। उन्होने बताया कि परिवार नियोजन को मिशन मोड पर लाने के बाद ऊपर से नीचे तक सब मिलकर इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाएंगे। उन्होने बताया कि हमारी एमसीपीआर दर आदर्श रूप से 52% होनी चाहिए। यह लंबे समय से 31% ही है। हमें इसे मिशन मोड में बढ़ाना चाहिए। कुछ जिलों में यह दर ज्यादा है और कुछ जिलों में यह कम है। वहीं डॉ. राकेश दुबे, महानिदेशक, परिवार कल्याण, उत्तर प्रदेश सरकार ने बताया कि कम उम्र के दंपतियों की शादी जल्दी हो जाती है और उन्हें परिवार नियोजन के बारे में ज्यादा नहीं मालूम होता है। इस वजह से सरकार इन कम उम्र के लोगों को समुदाय के अनुकूल विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा लक्षित कर रही है। बीएमजीएफ के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. देवेंद्र खंडैत ने कहा कि परिवार नियोजन विधि को समुदाय तक पहुंचाना अगला महत्वपूर्ण कदम है। परिवार नियोजन और बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भ निरोधक विधि को एक में शामिल करना राज्य की और हमारी साझा प्राथमिकता है। बीएमजीएफ के फेमिली प्लानिंग पॉलिसी की कंट्री लीड मेधा गांधी ने कहा मैं समुदाय के अनुकूल विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से कम उम्र के दंपतियों के लिए परिवार नियोजन में बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भनिरोधक विधि को प्राथमिकता देने में उत्तर प्रदेश में महान नेत़ृत्व को बधाई देती हूँ। पॉप कौंसिल के कंट्री डायरेक्टर डॉ. निरंजन सगुरती कहा कि आजकल जानकारी डिजिटल और सोशल मीडिया पर मिलती है पर लड़कों और लड़कियों के बीच में डिजिटल डिवाइड काफी बड़ा है। ममता एचआईएमसी के इग्ज़ेक्यटिव डायरेक्टर डॉ. सुनील मेहरा ने कहा कि फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को कम उम्र के और कम बच्चों वाले दंपतियों तक पहुँचने का अतिरिक्त प्रयास करने की जरूरत है। इस वर्चुअल कार्यशाला का समापन परिवार नियोजन पर जागरूकता उत्पन्न करने और इसे उपलब्ध कराने, कोविड-19 के बीच में कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) में बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भनिरोधक विधियों पर फोकस करने, कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) के लिए परिवार नियोजन सेवाओं के प्रति सरकार की वचनबद्धता को सुदृढ़ करने और बच्चों के जन्म में अंतर रखने वाली गर्भनिरोधक विधियों का कवरेज करने वाले सूचकों को विकसित करते हुए गुणवत्ता नियंत्रण कार्यप्रणाली को बढ़ाने पर फोकस करने और इसके लिए बजटीय प्रावधान करने का आश्वासन देते हुए किया गया। इस वर्चुअल आयोजन के लिए सभी ने यूपीटीएसयू, सीफार और पीएसआई संस्था को धन्यवाद दिया। *कोविड-19 काल : परिवार नियोजन विधि को प्राथमिकता देना* एक आकलन के अनुसार, उत्तर प्रदेश में चार महिलाओं और लड़कियों में से लगभग एक महिला या लड़की को बच्चे के जन्म में अंतर रखने की विधि की अपूर्ण आवश्यकता है। कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) की आधुनिक गर्भ निरोधक प्रसार दर सिर्फ 13% है। ये वे महिलाएँ हैं जो बच्चों के जन्म में अंतर रखना चाहती हैं लेकिन गर्भनिरोधक की आधुनिक विधि का इस्तेमाल नहीं कर रही हैं। इसके कई कारण हैं, जैसे- स्वास्थ्य कार्यकर्ता की कम पहुँच, परिवार नियोजन पर आपस में बातचीत की कमी, आदि। ये इन गर्भनिरोधक विधियों तक कम उम्र के लोगों की पहुँच में मुख्य बाधक हैं। वर्तमान कोविड-19 वैश्विक महामारी के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार ने हमेशा अपनी वचनबद्धता दोहराई है और कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) के बच्चे पैदा करने की योजना बनाने के लिए नए और सुरक्षित गर्भनिरोधक अंतर विकल्प प्रदान किये हैं तथा परिवार नियोजन उत्पादों के वितरण और परामर्श सेवाएँ प्रदान करने के लिए आवश्यक सेवाओं एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को बढ़ाया है। *जिले के स्वास्थ्य अधिकारी भी हुये शामिल* इस वर्चुअल कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग के कई मुख्य राज्य अधिकारी और सीएमओ समेत जिला के अधिकारी एवं स्वास्थ्य के मुद्दों पर कार्यरत विभिन्न सिविल सोसायटी के प्रतिनिधि भी शामिल हुए और कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) में बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भनिरोधक विधि संबंधी मुद्दों पर प्रकाश डाला। *इन मुद्दों पर हुई चर्चा* • परिवार नियोजन, बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भनिरोधक विधियों और नई गर्भनिरोधक विधियों पर जोर देना • प्रदान की जा रही परिवार नियोजन सेवाओं की गुणवत्ता को परिलक्षित करने के लिए मॉनीटरिंग और समीक्षा कार्यप्रणाली • कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) के लिए परिवार नियोजन सेवाओं के बजटीय आवंटन पर फोकस करना
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