सांसद और मंत्री मेहरबान सीएमओ बेलगाम

 




सांसद एवं मंत्री मेहरबान सीएमओ बेलगाम

पी.के. सिंह विशेष संवाददाता  की रिपोर्ट

सरकारी अस्पताल में ईलाज का अभाव, प्राईवेट हो सीएमओ के संरक्षण में मालामाल

 

देवरिया। आप बिमार है और देवरिया में रहते है तो आपको सरकारी  अस्पताल में दर-दर की ठोकरे खानी पड़ेगी, ईलाज के अभाव में कही मरीज मर  जाये तो आप मुख्य चिकित्सा अधिकारी से शिकायत नही कर सकते है। क्योकि वर्षो से तैनात मुख्य चिकित्सा अधिकारी अपने पहुंच का जलवा कायम  किये हुये है। जलवा इतना कायम है कि वे देवरिया में प्रदेश के किसी भी मंत्री के आने पर अपनी पकड़ बहूत मजबूत कर लेते है। हाल ही में कृषि मंत्री  सूर्य प्रताप शाही के आगे-पीछे नजर आये थे। यह बात प्रदेश के आला अधिकारियों तक पहुंचते  ही इन्होंने अपना पाला बदलते हुये देवरिया के वर्तमान सांसद रमापति राम त्रिपाठी के हाथ से रविवार को अपने सर पर हाथ रखवाने लगे। कहा यह  जा रहा है कि इन्होने प्राइवेट अस्पताल को देवरिया में संरक्षण दे रखा है, प्राइवेट अस्पतालो की शिकायत करने पर जांच करने के बदले उन्हें मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. डीबी शाही को संरक्षण मिल जाता है।

पूर्वांचल में ईलाज के अभाव में मरीजो को राजधानी की राह देखना पड़ता है, गंभीर बीमारी के अलावा छोटी-मोटी ईलाज के लिए  मरीज के तीमारदार सीधे केजीएमयू और पीजीआई का रास्ता देखना पड़ता है। देवरिया के पचास प्रतिशत मरीज ईलाज के अभाव में या तो आखिरी सांस ले रहे है या  दिल्ली, लखनऊ में महीनों रहकर ईलाज करा रहे है। नोनापार के रहने वाले संजय मणि त्रिपाठी ने बीते एक माह पहले प्राइवेट अस्पताल में अपने पिता का ईलाज कराने के लिए ले गये थे जंहा पर उन्हें सही ईलाज नही मिला हालत खराब होने पर वे पीजीआई में भर्ती करा दिये, पीजीआई के डाक्टरो ने संजय को बताया कि इन्हें आप गलत दवा क्यो खिला रहे थे, इन्हें यह दवा नही दी जानी थी, अपने पिता की गलत दवाई देने पर देवरिया के मुख्य चिकित्सा अधिकारी से संजय ने शिकायत किया पर कोई सुनवाई नही हुई। ऐसे में मुख्यचिकित्या अधिकारी से जब बात करने की कोशिश किया गया तो उन्होंने ऐसी शिकायत होने से साफ मना कर दिया। डा. शाही को हटाने में जो रोड़ा बनता है वे तत्काल उससे सम्पर्क कर अपना गुण-गणित लगा लेते है। मुख्य चिकित्या अधिकारी के इस मनबढ रवैये से प्राइवेट अस्पतालो की दिन पर दिन कमाई बढ़ती जा रही है। प्राइवेट अस्पतालो के दलाल सरकारी अस्पतालो के गेट पर खड़े होकर मरीजो को गुमराह कर अपने अस्पताल मे भर्ती कर ईलाज के नाम पर मोटी रकम वसूल कर रहे है।  विश्व हिंदू सेना के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय नाथ चौबे ने कहा कि मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ डीबी शाही अपने कार्यों का निर्वहन नहीं कर पा रहे है। डॉ शाही सिर्फ नेताओं से आशीर्वाद लेने में मशगूल है। कभी वो कृषि मंत्री शूर्यप्रताप शाही के पास जाते हैं तो कभी देवरिया सदर के सांसद रमापति राम त्रिपाठी से आशीर्वाद लेने पहुंच जाते है। अभी कुछ दिन पहले लोक निर्माण गेस्ट हाउस पहुंच कर सांसद अपने सर के ऊपर हाथ रखवा कर आशीर्वाद प्राप्त किए है। उन्होंने कहा कि डॉ शाही जनपद में धड़ल्ले से फर्जी डॉक्टर प्रैक्टिस कर रहे है उनको रोकने में नाकामयाब हैं। उनके इशारे पर सदर अस्पताल के सामने एक फर्जी अस्पताल धड़ल्ले से चल रहा है कुछ दिन पहले उक्त अस्पताल को सीज किया गया था लेकिन सुबह होते होते वह अस्पताल खुल गया। जनपद के लोगो को ये समझ में नहीं आ रहा है कि अस्पताल संचालक के पास रातों रात डिग्री कहां से मिल गई।

 

 

फर्जी प्राईवेट अस्पतालो में मरीजो से मोटी रकम वसुल किया जा रहा है, कोई सुनने वाला नही है, मुख्यचिकित्सा अधिकारी को इस बारे में एक माह पहले ज्ञापन दिया गया था पर अभी तक कोई कार्यवाही नही हुई। शिकायत को संज्ञान में नही लिया जायेंगा तो विश्व हिन्दु सेना के कार्यकर्ता सड़को पर प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होगें। 

विश्व हिंदू सेना के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय नाथ चौबे।




 


 

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*परिवार नियोजन कार्यक्रम में युवा वर्ग को जोड़ें : मंत्री* - प्रवासियों को परिवार नियोजन के साधनों के प्रति करें जागरूक - प्रदेश में मिशन मोड में चलाए जाएंगे परिवार नियोजन के कार्यक्रम *संतकबीरनगर , 28 सितंबर 2020* प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में अब परिवार नियोजन कार्यक्रम को मिशन मोड में चलाने की तैयारी हो रही है। इससे जहां शिशु व मातृ मृत्यु दर में कमी आएगी वहीं घर-घर बेहतर स्वास्थ्य के आयाम मिल सकेंगे । उन्होने विभाग के अधिकारियों को सलाह दी है कि वह प्रदेश के युवा दंपति को परिवार नियोजन कार्यक्रम से जोड़ें। स्वास्थ्य मंत्री विश्व गर्भ निरोधक दिवस के एक दिन पूर्व एक वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। यह वर्चुअल संवाद स्वास्थ्य विभाग की ओर से बिल एंड मिलेंडा गेट्स फाउंडेशन की सहयोगी संस्था ममता एचएमआईएस के सहयोग से आयोजित किया था। स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी लाभार्थियों के लिए गर्भनिरोधक सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए एक सरकारी आदेश जारी किया है। राज्य ने उन सभी प्रवासियों के लिए आजीविका और सामाजिक सुरक्षा का अधिकार भी सुनिश्चित किया है जो कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान इस राज्य में वापस लौटकर आए हैं। फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ता ग्रामीणों के लिए अल्पकालीन गर्भनिरोधक विधियों के संबंध में परिवार नियोजन सेवाएं स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराने के लिए कठिन परिश्रम कर रहे हैं। वहीं आईएएस अधिकारी आलोक कुमार ने कहा कि हमें कोविड-19 की वजह से परिवार नियोजन के फायदों से वंचित नहीं होना चाहिए। बच्चों के जन्म में अंतर रखने की अस्थायी गर्भनिरोधक विधियों पर ध्यान देते हुए सभी प्रणालियों को फिर से सक्रिय करना है। इस वर्चुअल आयोजन को संबोधित करती हुई एनएचएम एमडी अपर्णा उपाध्याय ने बताया कि परिवार नियोजन को मिशन मोड पर लाने के बारे में समझाया। उन्होने बताया कि परिवार नियोजन को मिशन मोड पर लाने के बाद ऊपर से नीचे तक सब मिलकर इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाएंगे। उन्होने बताया कि हमारी एमसीपीआर दर आदर्श रूप से 52% होनी चाहिए। यह लंबे समय से 31% ही है। हमें इसे मिशन मोड में बढ़ाना चाहिए। कुछ जिलों में यह दर ज्यादा है और कुछ जिलों में यह कम है। वहीं डॉ. राकेश दुबे, महानिदेशक, परिवार कल्याण, उत्तर प्रदेश सरकार ने बताया कि कम उम्र के दंपतियों की शादी जल्दी हो जाती है और उन्हें परिवार नियोजन के बारे में ज्यादा नहीं मालूम होता है। इस वजह से सरकार इन कम उम्र के लोगों को समुदाय के अनुकूल विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा लक्षित कर रही है। बीएमजीएफ के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. देवेंद्र खंडैत ने कहा कि परिवार नियोजन विधि को समुदाय तक पहुंचाना अगला महत्वपूर्ण कदम है। परिवार नियोजन और बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भ निरोधक विधि को एक में शामिल करना राज्य की और हमारी साझा प्राथमिकता है। बीएमजीएफ के फेमिली प्लानिंग पॉलिसी की कंट्री लीड मेधा गांधी ने कहा मैं समुदाय के अनुकूल विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से कम उम्र के दंपतियों के लिए परिवार नियोजन में बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भनिरोधक विधि को प्राथमिकता देने में उत्तर प्रदेश में महान नेत़ृत्व को बधाई देती हूँ। पॉप कौंसिल के कंट्री डायरेक्टर डॉ. निरंजन सगुरती कहा कि आजकल जानकारी डिजिटल और सोशल मीडिया पर मिलती है पर लड़कों और लड़कियों के बीच में डिजिटल डिवाइड काफी बड़ा है। ममता एचआईएमसी के इग्ज़ेक्यटिव डायरेक्टर डॉ. सुनील मेहरा ने कहा कि फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को कम उम्र के और कम बच्चों वाले दंपतियों तक पहुँचने का अतिरिक्त प्रयास करने की जरूरत है। इस वर्चुअल कार्यशाला का समापन परिवार नियोजन पर जागरूकता उत्पन्न करने और इसे उपलब्ध कराने, कोविड-19 के बीच में कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) में बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भनिरोधक विधियों पर फोकस करने, कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) के लिए परिवार नियोजन सेवाओं के प्रति सरकार की वचनबद्धता को सुदृढ़ करने और बच्चों के जन्म में अंतर रखने वाली गर्भनिरोधक विधियों का कवरेज करने वाले सूचकों को विकसित करते हुए गुणवत्ता नियंत्रण कार्यप्रणाली को बढ़ाने पर फोकस करने और इसके लिए बजटीय प्रावधान करने का आश्वासन देते हुए किया गया। इस वर्चुअल आयोजन के लिए सभी ने यूपीटीएसयू, सीफार और पीएसआई संस्था को धन्यवाद दिया। *कोविड-19 काल : परिवार नियोजन विधि को प्राथमिकता देना* एक आकलन के अनुसार, उत्तर प्रदेश में चार महिलाओं और लड़कियों में से लगभग एक महिला या लड़की को बच्चे के जन्म में अंतर रखने की विधि की अपूर्ण आवश्यकता है। कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) की आधुनिक गर्भ निरोधक प्रसार दर सिर्फ 13% है। ये वे महिलाएँ हैं जो बच्चों के जन्म में अंतर रखना चाहती हैं लेकिन गर्भनिरोधक की आधुनिक विधि का इस्तेमाल नहीं कर रही हैं। इसके कई कारण हैं, जैसे- स्वास्थ्य कार्यकर्ता की कम पहुँच, परिवार नियोजन पर आपस में बातचीत की कमी, आदि। ये इन गर्भनिरोधक विधियों तक कम उम्र के लोगों की पहुँच में मुख्य बाधक हैं। वर्तमान कोविड-19 वैश्विक महामारी के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार ने हमेशा अपनी वचनबद्धता दोहराई है और कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) के बच्चे पैदा करने की योजना बनाने के लिए नए और सुरक्षित गर्भनिरोधक अंतर विकल्प प्रदान किये हैं तथा परिवार नियोजन उत्पादों के वितरण और परामर्श सेवाएँ प्रदान करने के लिए आवश्यक सेवाओं एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को बढ़ाया है। *जिले के स्वास्थ्य अधिकारी भी हुये शामिल* इस वर्चुअल कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग के कई मुख्य राज्य अधिकारी और सीएमओ समेत जिला के अधिकारी एवं स्वास्थ्य के मुद्दों पर कार्यरत विभिन्न सिविल सोसायटी के प्रतिनिधि भी शामिल हुए और कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) में बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भनिरोधक विधि संबंधी मुद्दों पर प्रकाश डाला। *इन मुद्दों पर हुई चर्चा* • परिवार नियोजन, बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भनिरोधक विधियों और नई गर्भनिरोधक विधियों पर जोर देना • प्रदान की जा रही परिवार नियोजन सेवाओं की गुणवत्ता को परिलक्षित करने के लिए मॉनीटरिंग और समीक्षा कार्यप्रणाली • कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) के लिए परिवार नियोजन सेवाओं के बजटीय आवंटन पर फोकस करना
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