हिमालय पर्वत का सुखद आनंद उत्तराखंड

समय परिवर्तन का इंतजार करना ही श्रेष्ठकर है ... पिछले कई वर्षों में औली में स्कीइंग खेल के लिए बर्फबारी मशीन की जरूरत होती थी ... आज पूरा उच्च हिमालय ही बर्फबारी की सफेद चादर में लिपटा है ... निम्न हिमालयी क्षेत्रों में भी बर्फबारी का आनन्द पर्यटक उठा ही रहे हैं ... परन्तु उच्च हिमालय की बर्फबारी का आनन्द अलग ही होता है ... इसे जरूर देखना और स्वास्थ्य लाभ लेना चाहिए ... अस्पताल के चक्कर लगाने से तो ज्यादा ही अच्छा है कि ... वर्ष में एक माह उच्च हिमालय में निवास करिए ... पूरे वर्ष तरोताजा महसूस करेंगे ... मन शांत रहेगा ... चेहरे पर प्रसन्नता बनी रहेगी ... हिमालयी औषधीय भोजन वायु जल के आनन्द का वर्णन अलौकिक है ... पूर्ण वर्णन सम्भव नहीं ... जब भी उच्च हिमालय भ्रमण पर जाएं ... वहां की क्षेत्रीय फल , दूध , दही , भोजन शब्जियों के प्रयोग की ही कोशिश करें ... साथ ही साथ जब वापस आएं वहां से उन सामग्रियों को मंहगे दामों में भी लाना ना भूलें ... कोशिश करें कि वहां के निवासियों के सामग्रियों के बदले ज्यादा मूल्य देकर प्रोत्साहित करें ... जिससे आप बार बार उन दुर्लभ सामग्रियों को प्राप्त कर सकें ...
           औषधीय बनस्पतियों से सुगंधित वायु जल वातावरण सभी कुछ अलग ही महत्व रखता है ... उच्च हिमालयी क्षेत्रों का अनाज , फल , शब्जियां पूर्णतः रासायनिकमुक्त होती हैं ... अलग से औषधीय भूमि , जल , धूप , एवं वायु उन्हें औषधि ही बना देती है ... बर्फबारी हिमालय वासियों के लिए ही नही देश के लिए प्राकृतिक वरदान है ... पूरे गर्मी भर में सभी नदियों में शुद्ध जल अनवरत मिलता रहता है ... जिससे मैदानी क्षेत्रों में मानव , पशु , पक्षी , वनस्पति , बृक्ष सभी का जन जीवन आनन्दित और खुशहाल रहता है ... 
           बर्फबारी वाले क्षेत्रों में दुष्वारियां भी कम नहीं हैं ... ठंडक के साथ साथ सभी सुगम ग्रामीण रास्ते बंद हो जाते हैं ... पशु पक्षी से लेकर मानव तक इससे प्रभावित होते हैं ... परन्तु खुश रहते हैं ... जलौनी , राशन , पशुआहार से लेकर सामान्य जनजीवन अस्तव्यस्त हो जाता है ... इसके लिए  हिमालयवासियों की हिम्मत और क्षमताओं को नमन् करना चाहिए ... आज भी दुर्लभ जड़ीबूटियों का ग्यान उन्ही को है ... जय हिमालय ... जय हिन्द ...
            मण्डल , गोपेश्वर , चमोली , उत्तराखंड से


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अधिकार भी सुनिश्चित किया है जो कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान इस राज्य में वापस लौटकर आए हैं। फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ता ग्रामीणों के लिए अल्पकालीन गर्भनिरोधक विधियों के संबंध में परिवार नियोजन सेवाएं स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराने के लिए कठिन परिश्रम कर रहे हैं। वहीं आईएएस अधिकारी आलोक कुमार ने कहा कि हमें कोविड-19 की वजह से परिवार नियोजन के फायदों से वंचित नहीं होना चाहिए। बच्चों के जन्म में अंतर रखने की अस्थायी गर्भनिरोधक विधियों पर ध्यान देते हुए सभी प्रणालियों को फिर से सक्रिय करना है। इस वर्चुअल आयोजन को संबोधित करती हुई एनएचएम एमडी अपर्णा उपाध्याय ने बताया कि परिवार नियोजन को मिशन मोड पर लाने के बारे में समझाया। उन्होने बताया कि परिवार नियोजन को मिशन मोड पर लाने के बाद ऊपर से नीचे तक सब मिलकर इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाएंगे। उन्होने बताया कि हमारी एमसीपीआर दर आदर्श रूप से 52% होनी चाहिए। यह लंबे समय से 31% ही है। हमें इसे मिशन मोड में बढ़ाना चाहिए। कुछ जिलों में यह दर ज्यादा है और कुछ जिलों में यह कम है। वहीं डॉ. राकेश दुबे, महानिदेशक, परिवार कल्याण, उत्तर प्रदेश सरकार ने 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रखने की गर्भनिरोधक विधि संबंधी मुद्दों पर प्रकाश डाला। *इन मुद्दों पर हुई चर्चा* • परिवार नियोजन, बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भनिरोधक विधियों और नई गर्भनिरोधक विधियों पर जोर देना • प्रदान की जा रही परिवार नियोजन सेवाओं की गुणवत्ता को परिलक्षित करने के लिए मॉनीटरिंग और समीक्षा कार्यप्रणाली • कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) के लिए परिवार नियोजन सेवाओं के बजटीय आवंटन पर फोकस करना
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