आई ए एस की तैयारी कैसे करें

*_📚📚जाने सिविल सेवा परीक्षा के बारे में📚📚_*
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*👉आखिर क्या हैं सिविल सेवा परीक्षा(Upsc)📚*
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✍ सिविल सेवा परीक्षा देश की सबसे बड़ी एवं सबसे प्रतिष्ठित मानी जाने वाली परीक्षा हैं।


✍ भारत में पहली बार 1 अक्टूबर 1926 को लोक सेवा आयोग की स्थापना की गयी,और 26 जनवरी 1950 में इसका नाम बदलकर संघ लोक सेवा आयोग कर दिया गया।


✍ तब से लेकर आज तक संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) प्रति वर्ष सिविल सेवा परीक्षा का आयोजन करवाती हैं।


*👉 क्या हैं प्रक्रिया 📚*


✍ यूपीएससी इस परीक्षा को तीन चरणों में पूरा करवाती हैं।


✍ पहला चरण - प्रारम्भिक परीक्षा
✍ दूसरा चरण - मुख्य परीक्षा
✍ तीसरा चरण - साक्षात्कार(इंटरव्यू)


*👉पहला चरण - प्रारम्भिक परीक्षा📚*


*_इसका आयोजन जून-अगस्त में होता आया हैं।_*


✍ इसमें दो पेपर होते हैं, 
पहला GS(जनरल स्टडी) 
दूसरा सी-सेट(सिविल सर्विसेज़ एप्टीट्यूड टेस्ट)


*👉 प्रारम्भिक परीक्षा पेपर -I(सामान्य अध्ययन)📚*


*_✍ यह पेपर सामान्यतया जीके पर ही आधारित होता हैं।_*


इसमें भूगोल,इतिहास,भारतीय अर्थव्यवस्था,पॉलिटी,विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी,पर्यावरण एवं करंट अफेयर्स आदि पर आधारित होता हैं।


✍ इसमें 100 प्रश्न पूछे जाते हैं और प्रत्येक प्रश्न 2 नंबर का होता हैं,यह प्रश्न पत्र 200 अंकों का होता हैं।


✍ समय सीमा - 2 घंटे।


✍ और इसी प्रश्न पत्र के आधार पर आपको मुख्य परीक्षा में बैठने की अनुमति मिलती हैं।


*👉प्रारम्भिक परीक्षा पेपर-II( सीसैट)📚*


✍ इसमें सामान्यतः जनरल रीज़निंग&जनरल मानसिक योग्यता,10वीं कक्षा के स्तर की गणित(गणित विषय में कमजोर साथी डरें नहीं केवल 2-5 प्रश्न ही पूछे जाते हैं) और परिच्छेद (पैराग्राफ) पर इस प्रकार कुल मिलाकर इस पेपर में 80 प्रश्न पूछे जाते हैं।प्रत्येक प्रश्न 2.5 अंकों का होता हैं,और कुल मिलाकर ये प्रश्न पत्र भी 200 अंकों का ही होता हैं।


✍ समय सीमा 2 घंटे।


✍ यह प्रश्न पत्र केवल क्वालिफाइंग होता हैं, इसमें आपको 200 में से केवल 66 अंक लाने होंगे।


✍ प्रारम्भिक परीक्षा के दोनों पेपर में वस्तुनिष्ट प्रकार के प्रश्न पूछे जाएंगे न कि वर्णात्मक।


✍ प्रारम्भिक परीक्षा के अंक मुख्य परीक्षा में शामिल नहीं किए जाएंगे।


✍ प्रारम्भिक परीक्षा के दोनों पेपर में 1/3 ऋणात्मक अंकन का प्रावधान हैं।


*👉 दूसरा चरण - मुख्य परीक्षा📚*


*_प्रारम्भिक परीक्षा के 4 महीने बाद मुख्य परीक्षा होती हैं।_*


✍ यह प्रश्न पत्र वर्णात्मक (लिखित) होते हैं।


✍ इन सभी प्रश्न पत्रों की समय अवधि 3 घंटे होती हैं।


✍ इनमें ऋणात्मक अंकन नहीं होता होता हैं।


✍ इसमें कुल मिलाकर 9 पेपर होते हैं।


✍ सामान्य अंग्रेजी और हिंदी को छोड़कर बाकी सभी पेपर 250-250 नंबर के होते हैं 


✍ मुख्य परीक्षा 1750 अंकों की होती हैं।


2. संविधान की 21वीं अनुसूची में शामिल कोई भी एक भाषा (आपके मन मुताबिक)


2. सामान्य अंग्रेजी


3. निबंध


4,5,6,7. सामान्य अध्ययन(1,2,3,4)


*👉सामान्य अध्ययन पेपर-I📚*


👉यह मुख्यतः भारतीय विरासत और संस्कृति, इतिहास , भूगोल एवं समाज पर आधारित होता हैं।


*👉सामान्य अध्ययन पेपर-II📚*


👉यह मुखयतः शासन व्यवस्था ,संविधान,शासन प्रणाली,सामाजिक न्याय तथा अंतराष्ट्रीय सम्बन्ध पर आधारित होता हैं।


*👉सामान्य अध्ययन पेपर - III📚*


👉यह सामान्यतः प्रौद्योगिकी,आर्थिक विकास,जैव विविधता, पर्यावरण,सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन पर आधारित होता हैं।


*👉सामान्य अध्ययन पेपर - IV📚*


👉यह सामान्यतः नीतिशास्त्र,सत्यनिष्ठा एवं अभिरूचि पर आधारित होता हैं।


8,9. वैकल्पिक विषय(आपके द्वारा चुनी गई कोई भी एक विषय के दो पेपर)।


✍ मुख्य परीक्षा के सामान्य अंग्रेजी और सामान्य हिंदी के प्रश्न पत्र क्वालिफाइंग होते हैं।


✍ ये दोनों 300-300 नम्बर के होते हैं और इनमें आपको केवल 25%(75-75) अंक लाने होते हैं।


✍ इनके नंबर मुख्य परीक्षा में नहीं जोड़े जाते।


✍ सबसे पहले सामान्य अंग्रेजी का पेपर जाँच होता हैं और अगर आप उसमें 25 प्रतिशत अंक लाने में नाकामयाब हो जाते हैं तो आपके बाकि वाले 8 पेपर की जाँच नहीं होगी।


✍ आप किसी भी विषय को अपना वैकल्पिक विषय चुन सकते हैं,चाहे वो आपका स्नातक विषय रहा हो या नहीं ।


*👉तीसरा और अंतिम चरण 📚*


 *_साक्षात्कार(Interview)_*


✍ साक्षात्कार 275 अंकों का होता हैं।


✍ अगर आपने मैन्स किसी अन्य भाषा में लिखा हैं और आप इंटरव्यू किसी अन्य भाषा में देना चाहते हैं तो भी दे सकते हैं।


✍ केवल मुख्य परीक्षा के सातों प्रश्न पत्रों के आधार पर (सामान्य अंग्रेजी और हिंदी को छोड़कर) इंटरव्यू के लिए बुलावा आता हैं।


✍ प्रारम्भिक परीक्षा के नंबर इसमें नहीं जुड़ते हैं।


✍ मुख्य परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर आपको इंटरव्यू के लिए बुलावा आता हैं, जो कि धौलपुर हाउस(दिल्ली) में होता हैं।


✍ इंटरव्यू के लिए 1/3 उम्मीदवारों का चयन किया जाता हैं।


✍ सामान्यतः यूपीएससी औसतन 1000 पदों के लिए परीक्षा का आयोजन करवाती हैं,इसीलिए औसतन 3,000 उम्मीदवारों का नाम इंटरव्यू की लिस्ट में आता हैं।


✍ और यहीं पर फैसला होता हैं कि कौन टॉप करेगा और कौन वापिस परीक्षा देगा।


✍ अगर आप प्रारम्भिक परीक्षा में बैठ जाते हो, तो वो आपका 1 प्रयास गिना जाएगा।


✍ अगर आप प्रारम्भिक परीक्षा में उत्तीर्ण होकर मुख्य परीक्षा देते हैं तो अगर मुख्य परीक्षा में आप अनुतीर्ण होते हैं या इंटरव्यू में अनुतीर्ण होते हैं तो आपको वापस से प्रारम्भिक परीक्षा से शुरुआत करनी होगी।


✍ इस प्रकार कुल परीक्षा (1750+275) 2025 अंकों की होती हैं।


 *👉योग्यता 📚*


आप देश के सामान्य नागरिक हैं इसलिए मुख्यतः इस बात पर ही ध्यान दिया जाता हैं कि-


✍ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यू जी सी ) की धारा 1956, द्वारा मान्यता प्राप्त, किसी राज्य अथवा केंद्रीय विश्वविद्यालय, या ड्रीम्ड विश्वविद्यालय द्वारा स्नातक अथवा समकक्ष की डिग्री ।


✍ वैसे छात्र जो स्नातक अथवा समकक्ष परीक्षा के परिणाम का इंतजार कर रहे हैं या अंतिम वर्ष में हैं, वो प्रारंभिक परीक्षा में बैठ सकते है । लेकिन मुख्य परीक्षा में शामिल होने के पूर्व उन्हें आवेदन पत्र के साथ
न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता की डिग्री संलग्न करना आवश्यक है ।


✍ पेशेवर और तकनीकी योग्यता वाले छात्र भी इस परीक्षा में शामिल हो सकते हैं ।


✍ वैसे अभ्यर्थी जो M.B.B.S. के फ़ाइनल ईयर में हैं या जिनकी इंटर्नशिप अभी पूरी नहीं हुई है वो भी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में शामिल हो सकते हैं । लेकिन साक्षात्कार के दौरान उन्हें पूरी डिग्री साक्षात्कार बोर्ड के समक्ष रखनी पड़ती है ।


*👉 आयु सीमा 📚*


👉न्यूनतम आयु सीमा


✍ न्यूनतम आयु सीमा सभी अभ्यर्थियों के लिए अनिवार्य हैं -


✍ जिस साल आप एग्जाम दे रहे हैं उसी साल 1 अगस्त तक आपकी न्यूनतम आयु 21 वर्ष हो जानी चाहिए,अन्यथा आप परीक्षा में नहीं बैठ सकते।


*👉अधिकतम आयु सीमा📚*


✍ सामान्य श्रेणी - 32 वर्ष
✍ अन्य पिछड़ा वर्ग - 35 वर्ष
✍ अनुसूचित जाति/जनजाति - 37 वर्ष
✍ दिव्यांग - 42 वर्ष


✍ मैंने यहां पर विकलांगों के लिए दिव्यांग शब्द का इस्तेमाल किया हैं।


*👉अवसरों(प्रयासों) की अधिकतम सीमा 📚(ATTEMPT LIMIT)*


✍ सामान्य श्रेणी - 6
✍ अन्य पिछड़ा वर्ग - 9
✍ अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति - कोई प्रतिबंध नहीं
✍ दिव्यांग - अनुसूचित पिछड़ा वर्ग - 9
✍ अनुसूचित जाति/जनजाति - कोई प्रतिबंध नहीं है


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*परिवार नियोजन कार्यक्रम में युवा वर्ग को जोड़ें : मंत्री* - प्रवासियों को परिवार नियोजन के साधनों के प्रति करें जागरूक - प्रदेश में मिशन मोड में चलाए जाएंगे परिवार नियोजन के कार्यक्रम *संतकबीरनगर , 28 सितंबर 2020* प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में अब परिवार नियोजन कार्यक्रम को मिशन मोड में चलाने की तैयारी हो रही है। इससे जहां शिशु व मातृ मृत्यु दर में कमी आएगी वहीं घर-घर बेहतर स्वास्थ्य के आयाम मिल सकेंगे । उन्होने विभाग के अधिकारियों को सलाह दी है कि वह प्रदेश के युवा दंपति को परिवार नियोजन कार्यक्रम से जोड़ें। स्वास्थ्य मंत्री विश्व गर्भ निरोधक दिवस के एक दिन पूर्व एक वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। यह वर्चुअल संवाद स्वास्थ्य विभाग की ओर से बिल एंड मिलेंडा गेट्स फाउंडेशन की सहयोगी संस्था ममता एचएमआईएस के सहयोग से आयोजित किया था। स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी लाभार्थियों के लिए गर्भनिरोधक सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए एक सरकारी आदेश जारी किया है। राज्य ने उन सभी प्रवासियों के लिए आजीविका और सामाजिक सुरक्षा का अधिकार भी सुनिश्चित किया है जो कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान इस राज्य में वापस लौटकर आए हैं। फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ता ग्रामीणों के लिए अल्पकालीन गर्भनिरोधक विधियों के संबंध में परिवार नियोजन सेवाएं स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराने के लिए कठिन परिश्रम कर रहे हैं। वहीं आईएएस अधिकारी आलोक कुमार ने कहा कि हमें कोविड-19 की वजह से परिवार नियोजन के फायदों से वंचित नहीं होना चाहिए। बच्चों के जन्म में अंतर रखने की अस्थायी गर्भनिरोधक विधियों पर ध्यान देते हुए सभी प्रणालियों को फिर से सक्रिय करना है। इस वर्चुअल आयोजन को संबोधित करती हुई एनएचएम एमडी अपर्णा उपाध्याय ने बताया कि परिवार नियोजन को मिशन मोड पर लाने के बारे में समझाया। उन्होने बताया कि परिवार नियोजन को मिशन मोड पर लाने के बाद ऊपर से नीचे तक सब मिलकर इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाएंगे। उन्होने बताया कि हमारी एमसीपीआर दर आदर्श रूप से 52% होनी चाहिए। यह लंबे समय से 31% ही है। हमें इसे मिशन मोड में बढ़ाना चाहिए। कुछ जिलों में यह दर ज्यादा है और कुछ जिलों में यह कम है। वहीं डॉ. राकेश दुबे, महानिदेशक, परिवार कल्याण, उत्तर प्रदेश सरकार ने बताया कि कम उम्र के दंपतियों की शादी जल्दी हो जाती है और उन्हें परिवार नियोजन के बारे में ज्यादा नहीं मालूम होता है। इस वजह से सरकार इन कम उम्र के लोगों को समुदाय के अनुकूल विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा लक्षित कर रही है। बीएमजीएफ के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. देवेंद्र खंडैत ने कहा कि परिवार नियोजन विधि को समुदाय तक पहुंचाना अगला महत्वपूर्ण कदम है। परिवार नियोजन और बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भ निरोधक विधि को एक में शामिल करना राज्य की और हमारी साझा प्राथमिकता है। बीएमजीएफ के फेमिली प्लानिंग पॉलिसी की कंट्री लीड मेधा गांधी ने कहा मैं समुदाय के अनुकूल विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से कम उम्र के दंपतियों के लिए परिवार नियोजन में बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भनिरोधक विधि को प्राथमिकता देने में उत्तर प्रदेश में महान नेत़ृत्व को बधाई देती हूँ। पॉप कौंसिल के कंट्री डायरेक्टर डॉ. निरंजन सगुरती कहा कि आजकल जानकारी डिजिटल और सोशल मीडिया पर मिलती है पर लड़कों और लड़कियों के बीच में डिजिटल डिवाइड काफी बड़ा है। ममता एचआईएमसी के इग्ज़ेक्यटिव डायरेक्टर डॉ. सुनील मेहरा ने कहा कि फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को कम उम्र के और कम बच्चों वाले दंपतियों तक पहुँचने का अतिरिक्त प्रयास करने की जरूरत है। इस वर्चुअल कार्यशाला का समापन परिवार नियोजन पर जागरूकता उत्पन्न करने और इसे उपलब्ध कराने, कोविड-19 के बीच में कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) में बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भनिरोधक विधियों पर फोकस करने, कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) के लिए परिवार नियोजन सेवाओं के प्रति सरकार की वचनबद्धता को सुदृढ़ करने और बच्चों के जन्म में अंतर रखने वाली गर्भनिरोधक विधियों का कवरेज करने वाले सूचकों को विकसित करते हुए गुणवत्ता नियंत्रण कार्यप्रणाली को बढ़ाने पर फोकस करने और इसके लिए बजटीय प्रावधान करने का आश्वासन देते हुए किया गया। इस वर्चुअल आयोजन के लिए सभी ने यूपीटीएसयू, सीफार और पीएसआई संस्था को धन्यवाद दिया। *कोविड-19 काल : परिवार नियोजन विधि को प्राथमिकता देना* एक आकलन के अनुसार, उत्तर प्रदेश में चार महिलाओं और लड़कियों में से लगभग एक महिला या लड़की को बच्चे के जन्म में अंतर रखने की विधि की अपूर्ण आवश्यकता है। कम उम्र के और कम बच्चे वाले दंपतियों (YLPS) की आधुनिक 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