भारत के 11 सबसे खूबसूरत जगह एवं अनसुलझे रहस्य

भारत की 11 खूबसूरत जगह, जहां छुपे हैं कई अनसुलझे रहस्य..
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👉रामसेतु:
रामसेतु एक आश्चर्यजनक ऐतिहासिक पक्ष है जो भौतिक रूप में उत्तर में बंगाल की खाड़ी को दक्षिण में शांत और स्वच्छ पानी वाली मन्नार की खाड़ी से अलग करता है,
जो धार्मिक एवं मानसिक रूप से दक्षिण भारत को उत्तर भारत से जोड़ता है।
यह भारत और श्रीलंका के बीच उथली चट्टानों की एक चेन है। इसे भारत में रामसेतु व दुनिया में एडम्स ब्रिज के नाम से जाना जाता है।
इस पुल की लंबाई लगभग 48 किमी है।
👉ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया:
दुनिया की सबसे लंबी दीवार ग्रेट वाल ऑफ चाइना के बारे में तो
सभी जानते हैं, लेकिन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी दीवार भारत के राजस्थान में स्थित कुंभलगढ़ किले की दीवार है।
यह 'ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया है। उदयपुर से 64 किमी की दूर
स्थित इस किले का निर्माण महाराणा कुम्भा ने 15 वीं शताब्दी में करवाया था।
👉रूपकुंड (कंकाल झील):
उत्तराखंड में स्थित एक ऐसी हिम झील है, जो अपने किनारे पर पाए गये पांच सौ से अधिक नर कंकालों के कारण प्रसिद्ध है।
यह निर्जन स्थान हिमालय पर
लगभग 5029 मीटर (16499 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। विशेषज्ञों का मानना है,
कि यहां लोगों की मौत महामारी, भूस्खलन या फिर बर्फीले तूफान से हुई थी।..
👉मैग्नेटिक हिल:
एक ऐसा भारतीय अजूबा जिसे
देखकर लोग अपनी दांतों तले ऊँगलियां दबाने पर मजबूर हो जाते हैं।
ये अजूबा है जम्मू-कश्मीर
की लेह सीमा में स्थित एक चमत्कारिक पहाड़ी,
जिसे मैग्नेटिक हिल के नाम से जाना जाता हैं। इस मैग्नेटिक हिल पर यदि वाहन को न्यूट्रल करके खड़ा कर दिया जाए तब भी यह नीचे की और नहीं जाता। बल्कि वाहन नीचे की ओर ना जाकर खुद ब खुद उपर की ओर
जाने लगता है।
गाडिय़ां ही नहीं बल्किआसमान में उडऩे वाले हवाई जहाज भी इस पहाड़ी के गुरुत्वाकषज़्ण से बच नहीं सकते।
👉फुकटल मोनेस्ट्री, जम्मू-कश्मीर:
एक गहरी सुनसान गुफा जिसमें बना है एक मठ जिसके ठीक सामने काफी गहरी खाई है।
ऐसे में यहां पहुंचने वाले लोगों को नदी पर बने सस्पेंशन पुल के द्वारा यहां जाना पड़ता है।
इस मठ तक पहुंचने के लिए नजदीकी कस्बे पादुम से तीन दिन ट्रैक करके पहुंचना पड़ता है।
👉शनि शिंगणापुर:
शनि शिंगणापुर का एक अलग
ही महत्व है।
यहाँ शनि देव हैं, लेकिन मंदिर
नहीं है।
घर है लेकिन दरवाजा नहीं। वृक्ष है, लेकिन छाया नहीं।
शनि शिंगणापुर गाँव में किसी भी घर में दरवाजा नहीं है। कहीं भी
कुंडी तथा कड़ी लगाकर ताला नहीं लगाया जाता।
इतना ही नहीं, घर में लोग आलमारी, सूटकेस आदि नहीं रखते।
ऐसा शनि भगवान की आज्ञा से किया जाता है।
👉बुलेट बाबा का रहस्यात्मक मंदिर:
राजस्थान के पाली जिले के एक मंदिर में बुलेट बाइक पूजी
जाती है। यह स्थान जोधपुर पाली हाईवे पर पाली से लगभग 20 किलोमीटर दूर बुलेट बाबा
के मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।
👉भानगढ़:
भानगढ़ किला राजस्थान के अलवर जिले में स्थित है।
इस किले को भूतहा किला
भी कहा जाता है।
सूर्यास्त के बाद इस किले में किसी को भी जाने की अनुमति नहीं है।
इस किले को आमेर के राजा भगवंत दास ने 1573
में बनवाया था।
भानगढ़ का किला चहारदीवारी से घिरा है जिसके अंदर घुसते ही
दाहिनी ओर कुछ हवेलियों के अवशेष दिखाई देते हैं।
सामने बाजार है जिसमें सड़क के दोनों तरफ कतार में बनाई गई दो मंजिली दुकानों के खंडहर हैं। किले के आखिरी छोर पर दोहरे
अहाते से घिरा तीन मंजिला महल है।
👉लोनार झील:
850 फीट की ऊंचाई पर बसा
यह शहर इस गड्ढ़ेनुमा झील के कारण काफी फेमस है।
लोनार के इस गड्ढ़े का निर्माण पृथ्वी की सतह पर उल्का गिरने के कारण हुआ था।
यह लगभग 52,000 साल पहले की बात है। कई सदियां और साल गुजरने के बाद यह गड्ढ़ा एक झील में बदल गया जिसे आज हम लोनार झील के नाम से जानते है।
👉बैलेंसिंग रॉक:
जबलपुर की मदन महल पहाडियों पर स्थित बैलेंसिंग रॉक पूरी दुनिया मे फेमस है।
जहा एक चट्टान दूसरी चट्टान के एक अंगुल से भी कम हिस्से में सदियों से टिकी हुई है।
जबलपुर शहर में 1998 में आए भूकंप के झटके भी इसका कुछ
नहीं बिगाड़ पाए।
👉कुलधरा:
जैसलमेर से केवल 18 कि.मी. की दूरी पर स्थिति है,
एक ऐसा गांव जहां रात के अंधेरे में कोई भी जाना पसंद नहीं करता है..
क्योंकि यहां हरपल ऐसा अनुभव होता है कि कोई आसपास चल रहा है।
इस गांव में अंधेरा होते ही महिलाओं के बात करने, उनकी चूडियों और पायलों की आवाज हमेशा ही वहां के माहौल को भयावह बनाते हैं।


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अधिकार भी सुनिश्चित किया है जो कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान इस राज्य में वापस लौटकर आए हैं। फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ता ग्रामीणों के लिए अल्पकालीन गर्भनिरोधक विधियों के संबंध में परिवार नियोजन सेवाएं स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराने के लिए कठिन परिश्रम कर रहे हैं। वहीं आईएएस अधिकारी आलोक कुमार ने कहा कि हमें कोविड-19 की वजह से परिवार नियोजन के फायदों से वंचित नहीं होना चाहिए। बच्चों के जन्म में अंतर रखने की अस्थायी गर्भनिरोधक विधियों पर ध्यान देते हुए सभी प्रणालियों को फिर से सक्रिय करना है। इस वर्चुअल आयोजन को संबोधित करती हुई एनएचएम एमडी अपर्णा उपाध्याय ने बताया कि परिवार नियोजन को मिशन मोड पर लाने के बारे में समझाया। उन्होने बताया कि परिवार नियोजन को मिशन मोड पर लाने के बाद ऊपर से नीचे तक सब मिलकर इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाएंगे। उन्होने बताया कि हमारी एमसीपीआर दर आदर्श रूप से 52% होनी चाहिए। यह लंबे समय से 31% ही है। हमें इसे मिशन मोड में बढ़ाना चाहिए। कुछ जिलों में यह दर ज्यादा है और कुछ जिलों में यह कम है। वहीं डॉ. राकेश दुबे, महानिदेशक, परिवार कल्याण, उत्तर प्रदेश सरकार ने बताया कि कम उम्र के दंपतियों की शादी जल्दी हो जाती है और उन्हें परिवार नियोजन के बारे में ज्यादा नहीं मालूम होता है। इस वजह से सरकार इन कम उम्र के लोगों को समुदाय के अनुकूल विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा लक्षित कर रही है। बीएमजीएफ के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. देवेंद्र खंडैत ने कहा कि परिवार नियोजन विधि को समुदाय तक पहुंचाना अगला महत्वपूर्ण कदम है। परिवार नियोजन और बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भ निरोधक विधि को एक में शामिल करना राज्य की और हमारी साझा प्राथमिकता है। बीएमजीएफ के फेमिली प्लानिंग पॉलिसी की कंट्री लीड मेधा गांधी ने कहा मैं समुदाय के अनुकूल विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से कम उम्र के दंपतियों के लिए परिवार नियोजन में बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भनिरोधक विधि को प्राथमिकता देने में उत्तर प्रदेश में महान नेत़ृत्व को बधाई देती हूँ। पॉप कौंसिल के कंट्री डायरेक्टर डॉ. निरंजन सगुरती कहा कि आजकल जानकारी डिजिटल और सोशल मीडिया पर मिलती है पर लड़कों और लड़कियों के बीच में डिजिटल डिवाइड काफी बड़ा है। ममता एचआईएमसी के इग्ज़ेक्यटिव डायरेक्टर डॉ. सुनील मेहरा ने कहा कि फ्रंटलाइन 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