*सावधान! RO का पानी भी है सेहत के लिए बेहद खतरनाक*
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) पानी साफ़ करने वाली RO तकनीक को पहले ही ख़तरनाक बता चुका है. पिछले दिनों NGT ने आदेश दिया था कि इस ख़तरनाक तकनीक पर पाबंदी लगाई जानी चाहिए.
देश के ज़्यादातर बड़े शहरों में पीने का साफ़ पानी RO से ही मिलता है या फिर प्यूरीफ़ाइड पानी की बोतलों से घरों में पानी पहुंचता है. RO यानी 'Reverse osmosis', पानी को साफ़ करने की ऐसी प्रक्रिया, जिस पर लोग आंखें बन्द करके भरोसा करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि RO का पानी आपके स्वास्थय के लिए खतरनाक हो सकता है.
*NGT की चेतावनी*
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) पानी साफ़ करने वाली RO तकनीक को पहले ही ख़तरनाक बता चुका है. पिछले दिनों NGT ने आदेश दिया था कि इस ख़तरनाक तकनीक पर पाबंदी लगाई जानी चाहिए. NGT ने 20 मई को पर्यावरण मंत्रालय को आदेश दिया कि जिन इलाक़ो में एक लीटर पानी में TDS की मात्रा 500 मिलिग्राम या उससे कम है. उन इलाक़ों में RO के इस्तेमाल पर रोक लगाया जाए. लेकिन पर्यावरण मंत्रालय ने 20 मई के इस आदेश पर कोई कार्रवाई नहीं की. मतलब पर्यावरण मंत्रालय ने ये जानते हुए भी RO पर बैन लगाने का फ़ैसला नहीं लिया कि ये कई जगहों पर लोगों के लिए ख़तरनाक साबित हो रहा है.
*क्या होता है TDS?*
TDS का मतलब है TOTAL DISSOLVED SOLIDS यानी पानी में घुले हुए जैविक पदार्थ. यानी बैक्टीरिया, वायरस और मेटल जैसे लेड, कैडमियम, आयरन, मैग्नीशियम, आर्सेनिक. ये तत्व शरीर के लिये गम्भीर दिक़्क़तें पैदा कर सकते हैं. आर्सेनिक से तो कैंसर भी हो सकता है. इनको पानी से निकालने के लिये RO बेहद कारगर है. लेकिन RO पानी से वो ज़रूरी मिनरल भी निकाल देता है जो शरीर के लिए फ़ायदेमंद होते हैं. इसीलिए NGT ने अपने फ़ैसले में कहा है कि RO की वजह से पानी की बर्बादी तो होती ही है साथ ही ये सेहत के लिए भी नुकसानदेह है.
देश के ज्यादातर घरों में पीने के लिए पानी RO प्यूरीफ़ायर से साफ़ किया जाता है लेकिन RO से प्यूरीफ़ाय किया गया पानी भी इन्सानों के लिए खतरनाक हैl
*क्यों है RO का पानी खतरनाक?*
RO तकनीक से पानी को साफ़ करते वक़्त उसमें मौजूद मिनरल ख़त्म हो जाते हैं और शरीर में मिनरल की कमी की वजह से थकान, कमज़ोरी, मांसपेशियों में दर्द और दिल से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं. मतलब जिस RO को घर पर लगा कर लोग ये सोचते हैं कि वो साफ़ पानी पी रहे हैं, असल में वो पानी सेहत के लिए काफ़ी ख़तरनाक है, इसीलिए NGT ने इस पर बैन लगाने के आदेश दिए हैं.
*WHO ने भी माना खतरनाक*
सिर्फ NGT ही नहीं वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन ने भी RO के पानी को ख़तरनाक माना है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन के मुताबिक़ प्रति लीटर पानी में TDS की मात्रा अगर 500 मिलीग्राम या उससे कम है तो पानी को RO से साफ़ करने की ज़रूत नहीं होती. मतलब प्रति लीटर 500 मिलीग्राम TDS वाला पानी पिया जा सकता है और इससे नुक़सान भी नहीं होता.
*ज़रूरी मिनरल नहीं मिलते*
TDS पानी में घुले वो ठोस मिनरल होते हैं, जो पानी में जितने कम हों उतना पानी साफ़ माना जाता है. लेकिन इसका मतलब ये भी नहीं हैं कि पानी में TDS की मात्रा होनी ही नहीं चाहिए. पानी में मिनरल ज़रूरी हैं क्योंकि ये पानी को स्वस्थ बनाते हैं. लेकिन रिसर्च में दावा किया गया है कि RO तकनीक के इस्तेमाल से पानी में घुले मिनरल लगभग ख़त्म हो जाते हैं. इससे शरीर को ज़रूरी मिनरल नहीं मिल पाते और यही वजह है कि RO तकनीक पानी को ख़तरनाक बना देती है. आजकल बड़े शहरों के हर घर में RO का यही पानी इस्तेमाल किया जा रहा है. यानी साफ़ पानी पीने के नाम पर हम बीमारियां पैदा करने वाले पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं.